गुरु पूर्णिमा : ब्रह्मस्वरूप सतगुरु गुरु नानकदेव जी और सिखो के प्रथम गुरु नानक देव
धन्य है वह तख्ती और धन्य है वह कलम, धन्य है वह दवात, धन्य है वह स्याही और धन्य है वह लिखने वाला जिसने श्री गुरु नानक देवजी के बारे मैं लिख कर अपने आपका जीवन सफल कर लिया मैं भी आपके सामने श्री गुरुनानक जी के जीवन पर प्रकाशमय करना चाहता हूं. श्री गुरु नानक देवजी उस समय इस धरती पर अवतारी हुए थे जब इस धरती पर चारों तरफ हाहाकार मचा था और लोगों का जीवन घोर परेशानियों में बीत रहा था. श्री गुरु नानक देवजी बचपन से ही चम्तकारी बालक थे. श्री गुरुमानक देवजी का जन्म संवत 1526 विक्रम में और सन् 1469 ई कार्तिक पूर्णिमा को माता तृप्ता और पिता कालूराम के घर में हुआ था. उस समय उस स्थान का नाम राय भोये की तलवंडी था और श्री गुरु नानक देवजी के जन्म के बाद ननकाना साहिब के नाम से जाना जाने लगा. अब हम उस शहर को लाहौर के नाम से जानते हैं. श्री गुरु नानक देवजी महाराज के जन्म पर सारेनगर में बाजे बजाए गये और आकाश में देवताओं नेफूलोंकी वर्षा की. पिता कालूराम ने अपने पुरोहित पंडित गोपाल दास को बुलाकर उस समयके रीति अनुसार
शास्त्रों की मर्यादा से नानक नाम रखा विद्वान पंडित जी ने कहा कि यह बालक कोई आम बालक नहीं है. कोई विशेष अवतारी जीव है और इसको ईश्वर ने जगत कल्याण हिन्दू धर्म की रक्षा करने के लिए भेजा है, पंडित जी ने सब लोगों को कहा कि यह वहीं नानक देव हैं जिसकी भविष्यवाणी महात्मा व्यास जी ने भविष्य पुराण में की थी. व्यास जी ने यहां भविष्य वाणी पूरे में सात हजार साल पूर्व में की थी. श्री गुरु नानक देव जी पर ईश्वर की कृपा इस कदर थी. एक दिन आप अपनी भैंसे चराते चराते धूप लगने से एक वृक्ष की छाया मैं सो गए और नानक देव जी के चेहरे पर धूप आ गई. धूप आंती देखकर
एक बहुत बड़े सफेद रंग के केसांपने अपना फन फैलाकर नानक देव के मुख छाया कर दी. इस आश्चर्य कौतुक को उसी नगर के नवाब ने जिसका नाम राय बुलारो था. खुद अपनी आंखों से देखा, जब की वह अपने साथियों के साथ किसी दूसरे गांव से आ रहा था. राय बुलारो ने इस बात की चर्चा सारे नगर में फैला दी और आप भी गुरु जी पर श्रद्धा रखने लगे. उस हाहाकार के समय में श्री गुरु नानक देव जी सत्य के साथ अनेक जालीमो से लड़े और उस लड़ाई में विजय प्राप्त की ऐसे महान और सच्चे योद्धा थे नानक देवजी इस प्रकार के जालीम लोगों से लड़े श्री नानकदेवजी.
• जालम अन्यायकारी और कसाइयों के साथ.
• ऐश प्रस्त, लोलप जालम और तुअसबी तथा जनूनी
• नवाबों के साथ
• पत्थर दिल, तुअसबी, शरई और बेहद जुल्म करने वाले, बेइंसाफ काजियों और मौलवियों के साथ.
• कट्टर कर्मचारियों के साथ. योगी और भोगियों के साथ.
• बड़े-बड़े करामाती फकीरों के साथ
• छूआछूत मानने वाले और जाति अभिमानियों के साथ
• आम अज्ञानी, भ्रमी वहमी, जनता के साथ.
• चोरों, डाकुओं, भ्रमी वहमी, जनता के साथ. बड़े-बड़े पाखंडियों और बरदा फरोशों के साथ.
• नास्तिक लोगों के साथ.
• इसीप्रकारबहुतबड़े-बड़ेमुसलमानोआलमोंकेसाथसत्यकेरास्ते पर चल कर श्री गुरु नानक देवजी ने दुनिया का कल्याण किया और लोगों के जीवन में अंधकार खत्म कर के प्रकाश उनके जीवन में भर दिया और सिख धर्म का प्रचार किया और सिखा धर्म की नींव रखी श्री गुरु नानक देवजी ने पूरे भारत वर्ष में पैदल घुम कर लोगों को सत्य का और शांति का रास्ता बताया. आज सिख धर्म के लोग बड़े आदर और सतकार के साथ पुरे विश्व में आत्म सम्मानी जीवन जी रहे हैं | और श्री गुरुनानक देवजी का नाम रोशन कर रहे हैं | ब्रह्म स्वरूप थे सत्यगुरु नानक देवजी थे. सिखधर्म के प्रथम गुरु थे.
गुरुमत प्रचारक
स्वर्ण मुकुट से सम्मानित
खालसा इंटर कॉलेज के प्रबन्धक मेम्बर
सरदार सुरेन्द्र सिंह बिजनौरी टाटा वाले
मो० नं० :- 9334628066