ऋषभ कुमार की रिपोर्ट
रजौली ,नवादा :प्रखंड मुख्यालय क्षेत्र में इन दिनों खिलौनों से खेलने की उम्र में उसी को जोड़ने में काम आने वाला केमिकल बच्चों और किशोरों के जीवन की डोर तोड़ रहा है। इस सस्ते और घातक नशे की गिरफ्त में अधिकतर कूड़ा चुनने वाले हैं।
स्थिति इस कदर भयावह हो चली है कि इस वर्ग के बच्चे हर टोले, मोहल्ले व चौक, चौराहे पर रूमाल या प्लास्टिक में केमिकल छिड़क उसे सूंघते दिखने लगे हैं।
स्टेशनरी से लेकर किराना दुकान, साइकिल दुकान और गुमटी चलाने वाले व्यवसाई चंद रुपयों की लालच में किसी को सुलेशन व फेविकोल बेच दे रहे हैं। कम से कम 10 रुपये में नशे का यह साधन उपलब्ध है। रजौली बजरंगबली चौक के दुकानदार अमित कुमार की मानें तो यह सुलेशन प्लास्टिक के सामान व टूटे-फूटे पार्ट पूर्जे को जोड़ने के साथ कागज चिपकाने में काम आता है। वाहनों के ट्यूब पंक्चर बनाने में भी इसका प्रयोग होता है।
इस तरह होता है इस्तेमाल
संबंधित केमिकल के एक पैकेट को खरीद कर कहीं अकेले में बैठ कर प्लास्टिक की पन्नी पर उसे पहले निचोड़ देते हैं।उसके बाद हथेली में बंद कर नाक के पास ले जाकर सांस खींचते हैं।पांच मिनट बाद उन पर नशा हावी होने लगता है।नशे का प्रभाव चार से पांच घंटे तक रहता है।इस तरह दिन में दो बार और कभी कभी शाम में भी इसकी एक डोज लेते हैं।यह नशा शरीर को सुन्न कर देता है।
केमिकल से शरीर पर ये दुष्प्रभाव
अनुमंडलीय अस्पताल रजौली के प्रभारी उपाधीक्षक सह चिकित्सक दिलीप कुमार बताते हैं कि सभी केमिकल हानिकारक हैं।फेफड़े में सूजन आ जाती है व हृदय,श्वास नली पर इसका सीधा दुष्प्रभाव होता है।समय पर इसका उपचार नहीं हुआ तो मौत भी हो सकती है।नशा करने के बाद किशोर कहीं भी घंटों निढाल बैठे रहते हैं।चार-पांच बच्चे अगर एक जगह बैठे रहते हैं,तो आपस में बात तक नहीं करते। खुद में सिमटे रहते हैं। चिकित्सक ने बताया कि नशा सेवन करने वाले का शरीर शिथिल कर देता है। सोचने समझने की शक्ति क्षीण हो जाती है। ऐसे में वह अनजाने में कोई अपराध भी कर सकता है।
नशा करने का यहां है ठिकाना
नदी का किनारा,मैदान, पान की दुकान के आसपास बच्चों को भूख नहीं लगती है।थकान भी मिट जाती है।नशा सेवन करने वाले कुछ बच्चों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि माता-पिता के सिर से साया उठ जाने के बाद कोई देखने वाला नहीं है। कूड़ा-कचरा चुनकर जीवन यापन करते हैं। अब तो लोग भीख देना भी बंद कर दिए हैं। कूड़े की ढेर में कुछ उपयोगी वस्तुएं मिल गईं, तो उसे बेचकर भोजन करते हैं।
10 से 15 रुपये में मिलने वाले सुलेशन सूंघने से कई घंटे तक भूख नहीं लगती
थकान भी मिट जाती है।एक किशोर ने पूछने पर बताया कि तेजी से केमिकल सुंघने के बाद शरीर हल्का हो जाता है। बच्चों से कोई हुनर सीख जीवन यापन करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने चुप्पी साध ली।