ऋषभ कुमार की रिपोर्ट
रजौली ,नवादा:प्रखंड मुख्यालय क्षेत्र में इन दिनों पर्याप्त बारिश नहीं हाेने से धान के बिचड़े सूख रहे हैं और खेतों में दरारें पड़ने लगी है। अगर समय पर धान की बुआई नहीं हुई तो किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा। इसी फसल पर किसानों की सारी उम्मीदें टिकी रहती है। बच्चे को पढ़ाना हो, बेटी की शादी करनी हो या महाजन का कर्ज चुकाना हो सब इसी फसल पर निर्भर करता है।इसको लेकर किसान परेशान नजर आ रहे हैं।रजौली प्रखण्ड के किसान सुखाड़ की आशंका से सहमे हैं। अभी 30 फीसदी खेतों में बिचड़े गिरे हैं जो अब सुख रहे हैं। मौसम का मिजाज देखकर नहीं लगता कि लक्ष्य पूरा हो पाएगा। किसानों को कुछ सूझ नहीं रहा कि वे क्या करें।बारिश नहीं होने से इस बार फिर फसल पर ग्रहण लगता दिख रहा है। रबी फसल भी मेहनत व लागत के अनुरूप नहीं होने से किसान खरीफ फसल पर आस लगाए बैठे हैं। रजौली प्रखंड के कई पंचायत के किसान इस बार कड़ी मेहनत व काफी खर्च कर अपने खेतों का पटवन कर धान का बिचड़ा तैयार कर रहे हैं। 30 प्रतिशत किसान निजी पंप सेट से धान का बिचड़ा खेतों में गिरा भी चुके हैं। किन्तु मौसम की बेरूखी के कारण बोए गये धान के बिचड़े सुख रहे हैं एवं खेतों में दरारें पड़ चुकी है। डीजल अनुदान की आस लगाये क्षेत्र के किसान तत्काल बोए गये बिचड़े को सूखने से बचाने के लिए पटवन तो कर रहे हैं लेकिन वह कम पड़ रहा है। ऐसे में उमस व भीषण गर्मी और पानी के कमी के कारण धान के बिचड़े सूख रहे हैं।किसानों के परिवारों के चेहरे पर महाजन का डर और फसल की चिंता दिख रही है। एक-दो दिन पानी पड़ने से किसान खुश हुए लेकिन फिर से वही गर्मी शुरू हो गया। किसानों का कहना है कि सावन माह में वर्षा होती थी।खेतों में धान का बिचड़ा डाल दिया है।लेकिन एक दो दिन बीच करके मोटर से पटवन करना पड़ रहा है।पानी का लेयर इतना नीचे है कि मोटर भी पानी थोड़ा-थोड़ा दे रहा है। यही स्थिति बनी रही तो बीज बचाना मुश्किल हो जाएगा।बारिश के अभाव में धान के बिचड़ा वाले खेत में दरार पड़ा हुआ।