क्षेत्र दौरे में पहुंचे आम आदमी पार्टी के आदिवासी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राजेश किस्कू ,कहा आम आदमी पार्टी दुमका लोकसभा क्षेत्र से उतारेगी अपनी उम्मीदवार
संतोष कुमार नाला/जामताड़ा।
2024 में लोकसभा चुनाव होने जा रहा हैं। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आम आदमी पार्टी भी रेस में आ चुका है । अब आप आदमी पार्टी भी दुमका लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार देगी। जिसको लेकर क्षेत्र में आप आदमी पार्टी नेताओ द्वारा लगातार दौरा किया रहा है। मंगलवार देर रात आम आदमी पार्टी के आदिवासी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राजेश किस्कू भी जामताड़ा के फतेहपुर पहुंचे। जहां उन्होंने प्रेस वार्ता की। प्रदेश अध्यक्ष राजेश किस्कू ने कहा कि लोकसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी सजग है। हम लोग लोकसभा चुनाव लड़ेंगे ।अरविंद केजरीवाल जी ने उनको टिकट देने का वादा भी किया है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता जमीन पर काम कर रहे हैं । संगठन काम कर रही है ।थोड़ा मेहनत लगेगा ।हम लोग जगह-जगह दौरा कर रहे हैं। हर प्रखंड हर पंचायत में जा रहे हैं। जामताड़ा जिला में भी जिला कमेटी पूरी तरह से बनी हुई है। जामताड़ा नगर पंचायत और मिहिजाम नगर परिषद में भी एक-दो दिन के अंदर कमिटी बना लिया जाएगा । वही झारखंड आंदोलनकारी नेता सह आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता महादेव किस्कू ने कहा कि अलग झारखंड राज्य को लेकर हम लोगों ने बहुत केस खाया, मार भी खाई , जेल भी गए थे । बहुत आशा के साथ अलग राज्य भी बना, सोचे थे अच्छे दिन आएंगे लेकिन वह भी सपना बनकर रह गया । उन्होंने कहा कि केजरीवाल में हम लोगों ने आशा देखा है ।देश को केजरीवाल की जरूरत है। इसलिए झारखंड मुक्ति मोर्चा से मोहभंग हो गया और हमलोगों ने आप को थामा। महादेव किस्कू ने हेमंत सोरेन सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन बोलने का बहुत कुछ बोलता है। लेकिन अब लगता है कि वह डरपोक है या डरता है पता नहीं ? उन्होंने कहा कि जिस तरह हम लोगों ने अलग राज्य के लिए आंदोलन किया । उस समय शिबू सोरेन के नाम से अधिकारी घबराते थे। लेकिन अब ऐसा लगता है कि हेमंत सोरेन का किसी अधिकारी के प्रति लगाम ही नहीं है और जहां कहीं भी देखते हैं झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता दरकिनार हो जाते हैं। इसलिए जो आशा थी वह निराशा में बदल चुकी है ।उन्होंने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी को जो सम्मान मिलना था जो उनका सपना था वह अब तक अधूरा है। हेमंत सरकार की ढुलमुल नीति से लगता है कि झारखंड आंदोलनकारियों का सपना कभी पूरा नहीं होगा।