डीजीटल युग में भी ताल पत्ते के छावनी में हो रहा है आंगनवाड़ी केंद्र का संचालन
देश आजाद हुये 76 साल हो गये|झारखंड राज्य बना 23 साल हो गया|पर अभी तक जामताड़ा जिला अंतर्गत नाला प्रखंड के मोरबासा पंचायत के मागुरा गांव के आंगनबाड़ी केंद्र लालधारा के नौनीहालों को एक छत नसीब हुआ कि गांव के छोटे-छोटे नौनीहाल छत के नीचे बैठकर पढ़-लिख सके|बता दूं ताल पत्ते से जैसे-तैसे कर छावनी किया गया है|जब मैं वहां पहूंचा तो मुझे आश्चर्य हुआ कि आजादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी गांव के नौनीहालों के लिए एक आंगनवाड़ी केंद्र का भवन नसीब नहीं हो सका|आंगनवाड़ी सेविका बिरुन मुर्मू बताती है कि वह वर्ष 2009 से 2013 तक एक किराए के मकान पर केंद्र का संचालन कर रहीं थीं,पर उसका छत का हिस्सा छुट कर गिर रहा था|उसके बाद वर्ष 2013 से अब तक इसी जगह केंद्र का संचालन किया जाता है|कहा हवा से काफी दिक्कत होती और बर्षा में भी दिक्कत होती है|नौनीहालों के लिए पोषाहार बनाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है|सेविका ने कहा कि इसकी सूचना पूर्व में एक बार विभाग को दिया गया था|बहरहाल जो भी हो आज के इस डीजीटल युग में भी इस तरह ताल पत्ते के छावनी बनाकर आंगनवाड़ी केंद्र का संचालन कई सवालों को जन्म दे रहा है|इस तरह से मामला चर्चा का विषय बनते जा रहा है|कहीं न कहीं इस ओर विभाग को जल्द ही पहल करना चाहिए|
वहीं इस संबंध में नाला के बाल विकास परियोजना पदाधिकारी सह जामताड़ा जिला समाज कल्याण पदाधिकारी सविता कुमारी से फोन के माध्यम से संपर्क किया गया तो कहा कि मामले को संज्ञान में लिया जायेगा|जल्द ही इसकी जांच की जाएगी आखिर किस कारण ताल पत्ते के छावनी में आंगनवाड़ी केंद्र का संचालन किया जाता है?वहीं जब मैंने जिला समाज कल्याण पदाधिकारी से पुछा कि क्या जहां भवन नहीं रहता वहां किराया के भवन में संचालन करने का प्रावधान है?क्या इसके लिए सरकार राशी भी देती है?तो कहा कि हां, लेकिन पिछले दो साल से आवंटन नहीं मिला है|इस बार आवंटन भी आया है, पेमेंट भी किया गया है|