समाहरणालय जामताड़ा अवस्थित एसजीएसवाई प्रशिक्षण भवन सभागार में जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सौजन्य से पॉक्सो अधिनियम 2012 को लेकर जिला स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन संपन्न
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक एवं अन्य अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का किया गया शुभारंभ
बच्चों का संरक्षण सिर्फ ज्यूडिशियरी की जिम्मेवारी नहीं है बल्कि यह जिम्मेवारी हम तमाम लोगों की है जो हमारे सरकार के प्रहरी हैं – प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, जामताड़ा
बच्चों में लैंगिंग अपराध की समस्या सिर्फ भारत में नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी व्याप्त है – उपायुक्त
प्रशिक्षण के दौरान न्यायिक, प्रशानिक एवं पुलिस पदाधिकारियों ने पॉक्सो अधिनियम से जुड़े सभी प्रावधानों एवं जानकारियों के बारे में विस्तार से दी जानकारी
सामुदायिक पुस्तकालय एवं एल्डर्स क्लब के निर्माण को लेकर उपायुक्त जामताड़ा को एक्सीलेंस इन गवर्नेंस अवार्ड मिलने पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं बार एसोसिएशन जामताड़ा के अध्यक्ष सहित सभी ने दी शुभकामनाएं
जामताड़ा:लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (पॉक्सो) पर माननीय नालसा के निर्देश पर झालसा के तत्वाधान में जिला विधिक सेवा प्राधिकार के द्वारा आज दिनांक 22.01.2023 को समाहरणालय जामताड़ा अवस्थित एसजीएसवाई प्रशिक्षण भवन सभागार में स्टेक होल्डर्स के साथ जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार श्री रंजीत कुमार, उपायुक्त सह उपाध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, श्री फ़ैज़ अक अहमद मुमताज (भा०प्र०से०), पुलिस अधीक्षक सह सदस्य श्री मनोज स्वर्गियारी (भा०पु०से०) एवं अध्यक्ष बार एसोसिएशन श्री मिहिर कुमार दुबे सहित अन्य अतिथियों के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया गया।
इससे पूर्व मुख्य अतिथि सहित सभी अतिथियों को स्वागत बुके देकर किया गया।
बच्चों के संरक्षण में एक्जीक्यूटिव, पुलिस ऑफिसर्स एवं ज्यूडिशियरी तीनों की महत्वपूर्ण भूमिका है – प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश
कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री रंजीत कुमार ने कहा कि बच्चों का संरक्षण सिर्फ ज्यूडिशियरी की जिम्मेवारी नहीं है बल्कि यह जिम्मेवारी हम तमाम लोगों की है जो हमारे सरकार के प्रहरी हैं। बच्चों के संरक्षण में एक्जीक्यूटिव, पुलिस ऑफिसर्स एवं ज्यूडिशियरी तीनों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि जैसे किसी बीज को इस कल्पना के साथ प्लांट करते हैं कि आगे चलकर यह बड़ा वृक्ष बनेगा और इसलिए काफी मेहनत करते हैं। ठीक उसी तरह हमारे बच्चे जो समाज में पैदा होते हैं उनकी परवरिश, उनका पालन पोषण कैसे किया जाए इसकी सारी जिम्मेवारी हम तमाम स्टेक होल्डर्स की है क्योंकि इसमें एजुकेशन, प्रोटेक्शन, रिहैबिटेशन और एग्जिक्यूशन हैं।
उन्होंने आगे इस बात पर चर्चा करते हुए कहा कि चाइल्ड को सेक्सुअल एब्यूज से कैसे बचाया जाए? इस पर विचार करने की आवश्यकता है। क्योंकि बच्चों को आसानी से कोई अपराधिक शिकार बना लेते हैं। बच्चे समाज के हर क्षेत्र में जाते हैं। उन्होंने कहा कि पॉक्सो एक्ट 2012 को 14 नवंबर 2012 को हमारे लेजिस्लेचर ने सोच समझ के इन एक्ट किया है। वहीं उन्होंने इस पर और प्रकाश डालते हुए कहा कि कोर्ट में इसके विचारण की अलग प्रक्रिया है जिसमे चाइल्ड फ्रेंडली कोर्ट एस्टेब्लिश्ड किए गए हैं वहीं सुनवाई के दौरान पीड़ित को एक्यूज्ड सामने से नही दिखना चाहिए इसके लिए भी व्यवस्था की गई है। साथ ही उन्होंने सेक्सुअल एब्यूज के शिकार बच्चों के चिकित्सकीय जांच सार्वजनिक न हो इसके लिए उन्होंने चिकित्सा पदाधिकारी को इसके लिए निर्देश दिया। वहीं कहा कि चिकित्सकीय जांच फीमेल डॉक्टर द्वारा ही होने चाहिए उनकी अनुपस्थिति में पुरुष डॉक्टर के साथ महिला अटेंडेंट हों। साथ ही बच्चा अगर छोटा हो तो बिना उसके माता पिता के सहमति के चिकित्सकीय जांच आवश्यक भी नही हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को सही तरीके से मुकम्मल मार्गदर्शन मिले। वहीं प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने सामुदायिक पुस्तकालय एवं एल्डर्स क्लब पहल पर उपायुक्त जामताड़ा को एक्सीलेंस इन गवर्नेंस अवार्ड मिलने पर उन्हें शुभकामनाएं दीं।
पॉक्सो एक्ट एवं सेक्सुअल एब्यूज बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है ; टेक्निकल एक्सपर्ट द्वारा बताए गए लीगल प्वाइंट ऑफ व्यू से इसके महत्व को समझें एवं जरूरी प्वाइंट को नोट भी करें – उपायुक्त
वहीं पॉक्सो एक्ट पर आयोजित परामर्श कार्यशाला की प्रासंगिकता को अभिव्यक्त करते हुए उपायुक्त श्री फ़ैज़ अक अहमद मुमताज (भा०प्र०से०) ने कहा कि यह बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है। यह समस्या सिर्फ भारत में नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी व्याप्त है। उन्होंने पॉक्सो एक्ट एवं सेक्सुअल एब्यूज से संबंधित मामले को संवेदनशील होकर कार्रवाई करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों का अनुसंधान सभी क्राइम जैसे ना करके गोपनीयता एवं संवेदनशीलता को समझते हुए करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में टेक्निकल एक्सपर्ट द्वारा बताए गए लीगल प्वाइंट ऑफ व्यू से इसके महत्व को समझें एवं जरूरी प्वाइंट को नोट भी करें। साथ ही कहा कि अपराध की रोकथाम हेतु जागरूकता बहुत जरूरी है। वहीं उन्होंने कहा कि सारे लोग एक टीम की तरह कार्य करें।
पॉक्सो से जुड़े मामलों में अनुसंधान के दौरान सभी जरूरी नियमों का करें पालन – पुलिस अधीक्षक
कार्यशाला को संबोधित करते हुए पुलिस अधीक्षक ने कहा की पॉक्सो केस में एफआईआर से पूर्व लोगों को जागरूकता के साथ परिवार के लोगों के काउंसलिंग कर क्राइम को रिपोर्ट करें। उन्होंने पुलिस पदाधिकारी को कहा कि ऐसे केस में सभी जरूरी धारा लगाएं। कई बार एक्यूज़्ड के द्वारा सोशल मीडिया में वीडियो बनाकर डाल दिया जाता है लेकिन आईओ के द्वारा जरूरी धारा नहीं लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे केस में बच्चों के बयान लेने हेतु सादे लिबास में जाने तथा इन केसों को गंभीर मानते हुए आईओ स्वयं इसका अनुसंधान करें। पीड़ित बच्चों को किसी भी सूरत में थाना न बुलवाएं। आज से इसपर अमल करें। बच्चों से बयान लेते समय उसे यह अहसास कराएं कि आप उनके रिश्तेदार, हमदर्द और भलाई चाहते हैं। उसे डरा धमका के बात ना करें। संवेदनशील होकर ऐसे मामलो का अनुसंधान करें।
एक्सीलेंस इन गवर्नेंस अवार्ड मिलने पर उपायुक्त को बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने दी बधाई; पॉक्सो एक्ट पर हुए चर्चा को बताया उपयोगी
वहीं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री मिहिर कुमार दुबे ने सबसे पहले उपायुक्त जामताड़ा को एल्डर्स क्लब के निर्माण हेतु साधुवाद देते हुए, उन्हें एक्सीलेंस इन गवर्नेंस अवार्ड मिलने पर बहुत सारी शुभकामनाएं दीं साथ ही उनके अनुरोध पर उपस्थित सभी लोगों ने खड़े होकर तालियों से उनका स्वागत किया। वहीं उन्होंने कहा कि पॉक्सो एक्ट को लेकर आयोजित कार्यशाला में हुए चर्चा से लोगों, अधिकवक्ताओं, पुलिस एवं पदाधिकारियों में जागरूकता के साथ कानूनी प्रक्रिया को समझने एवं क्रियान्वयन में आसानी होगी।
प्रशिक्षण के द्वितीय सत्र में पॉक्सो अधिनियम से जुड़े सभी बिंदुओं को विस्तार से बताया गया।
वहीं प्रशिक्षण के द्वितीय सत्र में जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम सह स्पेशल जज पॉक्सो श्री शिरीष दत्ता त्रिपाठी ने पॉक्सो एक्ट से जुड़े कई केसों के बारे में जानकारी देते हुए अनुसंधान प्रक्रिया की बारीकियों को बताया। वहीं अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी श्रीमति खुशबू त्यागी ने पॉक्सो एक्ट से जुड़े सभी प्रावधानों के बारे में विस्तार से बताया उन्होंने पीडित की गोपनीयता बनाये रखने हेतु अधिनियम की बाध्यता, पीडित को मिलने वाली विधिक सहायता के बारे में बताया। वहीं अपर समाहर्ता श्री सुरेन्द्र कुमार ने सरकार द्वारा दिए जाने वाले रिहैबिटेशन एवं वेलफेयर स्कीम के बारे में जानकारी दी। साथ ही पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय के द्वारा पॉक्सो से जुड़े मामलों में इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर के रोल के बारे में जानकारी दी।
इनकी रही उपस्थिति
इस अवसर पर उपरोक्त के अलावा न्यायिक अधिकारियों में सिविल जज श्री विश्वनाथ उरांव, प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार श्री अभिनव, प्रशासनिक अधिकारियों में जिला परिवहन पदाधिकारी श्री अजय तिर्की, जिला शिक्षा पदाधिकारी श्री गोपाल कृष्ण झा,जिला आपूर्ति पदाधिकारी श्री प्रधान मांझी, जिला योजना पदाधिकारी श्री पंकज कुमार तिवारी, जिला शिक्षा अधीक्षक श्री दीपक राम, प्रभारी पदाधिकारी सामान्य शाखा सुश्री आकांक्षा कुमारी, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्रीमति सविता कुमारी,अंचल अधिकारी जामताड़ा श्री मनोज कुमार, बीडीओ नारायणपुर श्री प्रभाकर मिर्धा, बीडीओ करमाटांड़ श्री अजफर हसनैन, बीडीओ कुंडहित श्रीमान मरांडी एवं पुलिस पदाधिकारी में विभिन्न थाना प्रभारी सहित अन्य संबंधित उपस्थित थे।