सरकारी प्लस टू उच्च विद्यालय में 9 वर्षो से कार्यरत 892 व्यावसायिक प्रशिक्षक होगें बेरोजगार
झारखंड के 446 सरकारी +2 उच्च विद्यालय में वर्ष 2015-16 से व्यावसायिक प्रशिक्षक कार्यरत हैं शिक्षको की नियुक्ति नियमानुसार कम्पनी के माध्यम से कि गई हैं प्रत्येक 2 वर्ष में कम्पनी का एकरारनामा झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद रांची के द्वारा किया जाता है। इस बार नए टेंडर के हवाला देते हुए पूर्व में कार्यरत व्यावसायिक प्रशिक्षको को उम्र, क्वालिफिकेशन, फिर से परीक्षा देना, इंटरव्यू और साथ ही नए कम्पनी की नए नियमावली कि हवाला देते हुए। बाहर कर दिया गया है।
जब की व्यावसायिक प्रशिक्षको के 9 वर्षो का अनुभव प्राप्त है फिर भी इस तरह की मनमानी तरीके से नया टेंडर कर पुराने को बाहर कर नए की बहाली ये तो पूर्ण रूप से भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा हैं। जो पहले से कार्यरत उन्हें उसी स्कूल में रहने दिया जाय। जो पूर्व राज्य परियोजना निदेशक शैलेस कुमार चौरसिया के द्वारा पहले ही लेटर नंबर 2018/1160 में निर्देश दिया जा चुका है की सिर्फ कंपनी बदलेगी जो प्रशिक्षक जहां कार्यरत है वह वही कार्यरत रहेंगे फिर भी झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के नए निदेशक के द्वारा हम सभी को बेरोजगार कर दिया जा रहा है जो कई वर्षो से हमने पूरी ईमानदारी के साथ सेवा दिया। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद रांची युवाओं के साथ साथ बच्चों की भविष्य खराब कर रही है
एक ही जॉब के लिए हर 2 वर्षो में डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन, उम्र इंटरव्यू परीक्षा लेना ऐसे कई तरीके शिक्षाको को हटाने के लिए अपनाया जाता है। जबकि सोचने की बात है कि नियुक्ति के समय परीक्षा लिया गया। उसके बाद नियुक्ति हुई तो फिर क्यों। इससे स्पष्ट है की भ्रष्टाचार सलिप्त हैं। झारखंड व्यावसायिक प्रशिक्षक संघ अध्यक्ष जितेंद्र कुमार सचिव मिथिलेश कुमार पांडेय, उपाध्यक्ष श्रवण मेहता, उपचिव रोजलिन स्नेहलता तिगा, मीडिया प्रभारी दीपक कुमार, जिला सचिव मनीषा तिगा़ हम सभी इसका विरोध करते हैं। 11 कंपनियों के द्वारा ठेका प्रथा के माध्यम से थर्ड पार्टी के रूप में सभी शिक्षकों की नियुक्ति की गई है।
इन कम्पनीयो को करोड़ो रुपए कमीशन के तौर पर सिर्फ व्यावसायिक प्रशिक्षक की वेतन भुगतान करने के लिए देना पड़ता है। झारखंड व्यावसायिक प्रशिक्षक संघ शिक्षा सचिव, राज्य परियोजना निदेशक एवम झारखण्ड शिक्षा परियोजना परिषद के समस्त पदाधिकारियों से आग्रह करती है। झारखंड के गरीब बच्चों और शिक्षकों की परिवार की भविष्य को ध्यान में रखते हुए। प्रशिक्षकों की बेरोजगार ना करें और उचित कार्रवाई करने की कृपा की जाए। अगर व्यावसायिक प्रशिक्षक बेरोजगार होते हैं तो झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के समझ पूरे परिवार के साथ आत्मदाह करेगी।