स्कूल फ़ीस मसले पर जिला प्रशासन में इच्छाशक्ति का अभाव : शिक्षा सत्याग्रह
– जिला स्तरीय फ़ीस रेगुलेटरी कमिटी की निष्क्रियता पर उठे सवाल
– स्कूल प्रबंधन और पेरेंट्स के बीच मध्यस्थता कर समाधान ढूंढे जिला प्रशासन : अंकित
शिक्षा सत्याग्रह ने स्कूल फ़ीस को लेकर पेरेंट्स और स्कूल मैनजमेंट के बीच जारी जिच को लेकर मध्यस्थता कर समाधान ढूंढने की वकालत की है। शिक्षा सत्याग्रह के संस्थापक अंकित आनंद ने स्कूल फ़ीस मामले पर कहा कि जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग में इस विषय को लेकर इच्छाशक्ति का अभाव है। स्कूलों से जुड़े विभिन्न हितधारकों की बैठक बुलाकर इसका समाधान ढूंढने की जगह केवल जिम्मेदारियां फेंकी जा रही है। कहा कि लॉकडाउन के कारण हर वर्ग प्रभावित है। अभिभावकों के समक्ष जहाँ वित्तीय कठिनाइयां है तो वहीं मध्यम और छोटे स्तर से विद्यालय गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं। उनके समक्ष शिक्षकों और स्कूल कर्मियों को वेतन देने की चुनौती है। भारी भरकम फ़ीस को देखकर अभिभावक भी अपने जेब टटोलने और सोचने पर विवश हैं। शिक्षा सत्याग्रह के संस्थापक अंकित आनंद ने कहा कि इस विषय पर जितनी देर होगी समस्या उतनी ही विकट होती जायेगी।
शिक्षा सत्याग्रह ने फ़ीस निर्धारण समिति की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाये है। कहा कि उपायुक्त की अध्यक्षता वाली उक्त जिला स्तरीय फ़ीस निर्धारण समिति में डीएसई और डीईओ पदेन सचिव हैं और विधायक, सांसद और परिवहन पदाधिकारी पदेन सदस्य हैं। लेकिन लॉकडाउन की अवधि में फ़ीस निर्धारण समिति ने एकबार भी स्कूल फ़ीस को लेकर जारी गतिरोध पर संज्ञान नहीं लिया। कहा कि स्कूलों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा और ऑडिट के उपरांत विभिन्न हितधारकों की कठिनाइयों को मध्य में रखते हुए निर्णय ली जानी चाहिए। अंकित आनंद ने कहा कि झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम के लागू हुए डेढ़ वर्ष के अधिक होने के बावजूद भी अबतक एकबार भी जिला स्तरीय फ़ीस निर्धारण कमिटी की बैठक नहीं हुई। निरंतर शिकायतों के बावजूद भी स्कूलों की बेतहाशा फ़ीस वृद्धि पर कार्रवाई ना होना अत्यंत चिंता का विषय है।
शिक्षा सत्याग्रह के संस्थापक अंकित आनंद ने सुझाव दिया कि जमशेदपुर शिक्षा विभाग को प्राइवेट स्कूलों के फ़ीस मामले पर विभिन्न हितधारकों की बैठक आयोजित कर समाधान ढूंढने की दिशा में पहल करनी चाहिए। कहा की पैरेंट्स को ट्यूशन फ़ीस देने में कोई कठिनाई नहीं है लेकिन भारी भरकम एनुअल चार्ज, री-एडमिशन शुल्क के अतिरिक्त लॉकडाउन की अवधि में ट्रांसपोर्टेशन फ़ीस, लैब चार्ज, गेम्स चार्ज, बिल्डिंग और मेंटेनेंस फ़ीस इत्यादि के गैर-वाज़िब शुल्क भुगतान करने में अभिभावकों का एक वर्ग विशेष चिंतित है। नो-वर्क नो-पे के तहत कई अभिभावकों को वेतन नहीं मिला, कईयों के रोज़गार छूट गयें। ऐसे में गैर वाज़िब और अत्यंत महंगे फ़ीस को लेकर समाधान ढूंढना चाहिए ताकि अभिभावक और स्कूल मैनजमेंट दोनों की ही चिंता कम हो सके। कहा कि इस मामले को लेकर सोमवार को जिला शिक्षा अधीक्षक से मुलाकात कर माँग पत्र समर्पित की जायेगी।