वीर नायक सिदो -कान्हू की गाथा से सीखें- जल, जंगल और प्रकृति की रक्षा करना:उपायुक्त श्री गणेश कुमार
निजाम खान
आज जामताड़ा जिला में स्थित माँ चंचला मंदिर के समीप सिदो -कान्हू की प्रतिमा को उपायुक्त श्री गणेश कुमार (भा. प्र. से.), उप विकास आयुक्त श्री नागेंद्र कुमार, अपर समाहर्ता श्री सुरेंद्र कुमार, उप निर्वाचन पदाधिकारी श्री विजय केरकेट्टा, कार्यपालक दंडाधिकारी श्री प्रधान मांझी, जिला कृषि पदाधिकारी श्री सबन गुड़िया एव्ं अन्य पदाधिकारीयों ने सोशल डीसटेंसिंग का पालन करते हुए माल्यार्पण किया और सभी वीर शहीदों को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी गयी.
*हूल क्रांति दिवस क्या है …*
संथाली भाषा में हूल का अर्थ- विद्रोह होता है. इसे संथाल विद्रोह भी कहा जाता है. जब अंग्रेजों का जुल्म, शोषण और अत्यचार बढ़ गया था . तब अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एव्ं अन्य जाति के लोगों ने मिलकर हजारों की संख्या में अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका . यह आजादी की पहली लडाई थी. जिसमें झारखंडी वीरों ने परंपरागत हथियारों के दम पर लड़ाई को लड़ा था . इस लडाई का नेतृत्व सिदो- कान्हू ने किया था और राजमहल के भोगनाडीह गांव से हजारों लोगों ने मिलकर- हमारी माटी छोड़ो जंग का एलान किया था. लडाई का मुख्य उद्देश्य था- जल, जंगल और जमीन की रक्षा करना. जिसमें हजारों लोग शहीद हो गए. 1855 ई. में बहराइच में चाँद और भैरव को मौत की नींद सुला दिया और दूसरी ओर सिदो और कान्हू मुर्मू को पकड़कर भोगनाडीह गांव में पेड़ से लटकाकर फांसी दे दिया गया. इन्ही वीर शहीदों के याद में हर साल *30 जून को हूल दिवस* मनाया जाता है.
उपायुक्त, जामताड़ा ने कहा कि अमर वीर सिदो- कान्हू का योगदान अमूल्य है. साथ ही हजारों लोगों के बलिदान की वजह से आज हमें आजाद और शांतिपूर्ण जीवन मिला है. यह हमारे मार्गदर्शक हैं. उपायुक्त ने कहा कि सिदो- कान्हू के योगदान को याद करते हुए सभी को जल, जंगल और प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए और प्रदूषित करने से बचना चाहिए.