नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपने राज्यसभा नामांकन को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए कहा है कि यदि उन्हें सौदा ही करना होता तो, सिर्फ राज्यसभा सीट से बात न बन पाती. मोदी सरकार द्वारा उन्हें राज्यसभा भेजने के सवाल पर गोगोई ने कहा, यदि मुझे सौदा ही करना होता तो क्या मैं एक राज्यसभा सीट से मानता? राज्यसभा अच्छा सौदा नहीं है. यदि सौदेबाजी ही करना होती तो कुछ बड़े चीज की मांग की जाती, न कि राज्यसभा सीट.
इंडिया टुडे ग्रुप द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने ये बात कही. अयोध्या विवाद और रफाल डील जैसे फैसलों और रिटायरमेंट के तुरंत बाद राज्यसभा भेजे जाने को लेकर रंजन गोगोई पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं.
गोगोई ने दावा किया कि वे कुछ सार्थक कार्य करने के लिए राज्यसभा आए हैं. पूर्व सीजेआई ने कहा कि उन्होंने पहले ही लिखकर ये स्पष्ट कर दिया है कि राज्यसभा में अपने कार्यकाल के दौरान वो कोई भी वेतन नहीं लेंगे. उन्होंने कहा कि जो लोग ये आरोप लगा रहे हैं कि सरकार के पक्ष में फैसलों के चलते उन्हें राज्यसभी सीट दी गई है, इससे वे प्रभावित नहीं होते हैं क्योंकि उनका जमीर एकदम पाक-साफ है.
इतना ही नहीं, रंजन गोगोई भारत की न्यायिक व्यवस्था पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि न्यायपालिका एकदम जर्जर स्थिति में पहुंच गई है और वे कोर्ट जाना पसंद नहीं करेंगे. उन्होंने कहा, कोर्ट कौन जाता है? आप कोर्ट जाते हैं और इसके बाद पछताते हैं. इसके अलावा उन्होंने हाल ही में जस्टिस एमआर शाह द्वारा एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ाई करने को लेकर टिप्पणी की.
उन्होंने कहा, जज को ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी. यदि उनके अंदर प्रधानमंत्री के प्रति आदर है, तो ये चीज उनके भीतर ही रहनी चाहिए. इसके अलावा मैं और कुछ नहीं कह सकता हूं. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि जज द्वारा इस तरह की टिप्पणी करना इसके बदले में कोई लाभ प्राप्त करने का प्रमाण नहीं है.
जब उनसे पूछा गया कि क्या वे उस टिप्पणी को लेकर लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे, जिसमें उन्होंने कहा था कि गोगोई ने खुद पर लगे यौन उत्पीडऩ के आरोपों का फैसला करके न्यायपालिका को बदनाम कर दिया, तो उन्होंने जवाब दिया, अगर आप अदालत जाते हैं तो आपको न्याय नहीं मिलेगा.