नासा ने मिनी मून मिस्ट्री यानि छोटे चंद्रमा के रहस्य को सुलझा लिया है. दरअसल, चांद और धरती के बीच दिख रहा ये छोटा चांद कोई एस्टरॉयड नहीं है, जो तेजी से धरती की ओर से बढ़ रहा है. नासा ने इसकी तुलना चांद पर भेजे गए किसी पुराने रॉकेट से की है, जो तेजी से धरती की ओर लौट रहा है.
पुराना रॉकेट है मिनी मून मिस्ट्री के पीछे :
नासा में एस्टरॉयड मामलों के शीर्ष विशेषज्ञ पॉल चोडा ने कहा कि एस्टरॉयड की तरह दिखने वाली ये चीज अंतरिक्षीय पत्थर भी नहीं कही जा सकती. क्योंकि इसका सूर्य के चक्कर लगाने का एक खास रास्ता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि ये 54 साल पहले चांद पर भेजे गए नासा के सर्वेयर लैंडर सेंटौर रॉकेट का ऊपरी हिस्सा हो सकता है.
54 साल पहले क्या हुआ था :
नासा ने 54 साल पहले सेंटौर रॉकेट चांद पर भेजा था. लेकिन उसके इंजन में खराबी की वजह से वो अपने रास्ते से भटक गया था और फिर उसका पता नहीं चल पाया. लेकिन पिछले महीने अमेरिकी अंतरिक्ष शास्त्रियों ने कार की साइज के इस मिनी मून को स्पॉट किया था जो धरती की तरफ बढ़ रहा है.
केटालिना स्काई सर्वे की टीम ने पता लगाया : पिछले महीने नासा समर्थित एरिजोना के केटालिना स्काई सर्वे की टीम ने इस मिनी मून के बारे में जानकारी दी थी. अंतरिक्ष विज्ञानी केपकर विएजर्कोस और टेडी प्रूयने ने इस की जानकारी ट्विटर पर देते हुए कहा था कि धरती को उसका टेंपररी मिनी मून मिला है. बता दें कि अंतरिक्ष में भेजे गए ऐसे बहुत सारे मिनी मून मौजूद हैं, लेकिन आकार में छोटे होने की वजह से वो दिखते नहीं हैं.