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    Home » जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के पुनर्गठन के साथ ही देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के विघटन का बीजारोपण
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    जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के पुनर्गठन के साथ ही देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के विघटन का बीजारोपण

    Devanand SinghBy Devanand SinghAugust 16, 2019No Comments5 Mins Read
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    अकल्पनीय ,अविश्वसनीय………
    जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के पुनर्गठन के साथ ही देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के विघटन का बीजारोपण……………. कालीचरण सिंह, पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा ।
    1. चाणक्य ने कहा है कुशल एवं सफल नेतृत्व के विषय में जब किसी काम को करना शुरू करो तो असफलता से मत डरो और उसे मत छोड़ो शासक के अंदर असफलता का डर नहीं होनी चाहिए काम करते रहो परिणाम की चिंता मत करो।
    2. चाणक्य का गुप्ती सिद्धांत – राजा को अपनी नीति का संरक्षण कछुए की तरह करनी चाहिए जैसे कछुआ अपने खोल से इतना ही अंग निकालता है जितने की जरूरत होती है उसी तरह जिसको जितना काम दिया गया है उसे उतना ही पता होना चाहिए। यह दोनों संदर्भ गुजरातवासी भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री के संदर्भ में है। अमरनाथ यात्रा बीच में ही रोकी गई तब से कयास यह लगाया जा रहा था कुछ होने वाला है परंतु यह समझ में नहीं हो रहा था की जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के साथ बीते 70 वर्षों से अधूरे पड़े कार्य के विषय में होना है। जम्मू कश्मीर के शासन व्यवस्था की प्रमुख राज्यपाल और उनके सहयोगियों को केवल इतना आदेश प्राप्त था कि बाहरी लोगों से जम्मू कश्मीर जितना जल्दी हो सके खाली कराया जाए । विगत 7 दशक से जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख इस तरह चक्रव्यूह में फंसा था की एक ही रास्ते पर चल रहा था और वह रास्ता बंद गली में जाकर पहुंचता था भारत का कोई भी शाषक इसे छूना तो दूर इसके विषय में सोच भी नहीं पा रहा था। इसका कारण- जम्मू कश्मीर का दो परिवार सईद एवं अब्दुल्ला परिवार एक ही रट लगा रहे थे अगर इस धारा को छुआ गया तो देश से जम्मू कश्मीर अलग हो जाएगा भारत का झंडा कोई धोने वाला नहीं मिलेगा इतना डर फैला कर के केंद्र की सत्ता को हमेशा रखा था क्योंकि धारा 370 एवं 35A अनुच्छेद को छूना अकल्पनीय अविश्वसनीय था। इसे भारत के 130 करोड़ जनसंख्या सुरक्षित मानता था यानी कोई भी व्यवस्था इसे तोड़ नहीं सकता।
    कांग्रेस पार्टी ने अपने स्वार्थ में इस कदर इस अनुच्छेद को फसा दिया था कोई भी शासक केवल सोचने मात्र से सिहर जाता था । 7 दशक से जम्मू कश्मीर के दो परिवारों के संरक्षण कांग्रेस आजीवन करते आ रही थी शायद देशवासी इस बात से अनभिज्ञ थे देश की आजादी में गांधी एवं 600 से ज्यादा रियासतों को भारत में विलय पटेल का का ही योगदान था । यह दोनों गुजराती ही थे वर्तमान प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री गुजराती है पटेल की एक सपना जो उनसे पूरा नहीं हो सका उसे पूरा करने के लिए शायद नियति ने गुजरात वासी पर ही छोड़ रखा था। अमित भाई सा शाह के संगठन कौशल को भारत देख चुका था पर अब प्रशासनिक कुशलता से देश को बता दिया। श्री शाह का ऐसा कदम जो जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख का पुनर्गठन के साथ कांग्रेस के बड़े नेताओं का अपने पक्ष में समर्थन लेकर कांग्रेस को विघटन की ओर धकेल दिया। संसद के दोनों सदनों में लगातार दो दिन तक बहस हुआ, एक भी विपक्षी नेता नहीं बता पाए की अनुच्छेद 370 एवं 35A कश्मीर के लोगों के लिए क्या दिया इसे रखने का क्या औचित्य है।
    सदन में सत्ता पक्ष के लोग वंदे मातरम भारत माता की जय कर रहे थे तो विपक्ष ने टोका टोकी किया इस पर अमित भाई सा ने कहा 70 वर्षों से जो दर्द हुआ है वह जा रही है और भावना की अभिव्यक्ति नहीं रुकनी चाहिए। संसद में जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे पर पल रहे कुछ राजनीतिक दल और देश के तथाकथित बुद्धिजीवी इस कदम को अलोकतांत्रिक बता कर गोपनीयता पर सवाल कर रहे थे यह वही लोग थे जिनके शासन व्यवस्था में 3.5लाख कश्मीरी परिवार घाटी से निकाल दिए गए मस्जिदों से ऐलान हुआ कि जो व्यक्ति अपना जान बचाना चाहता है वह अपनी दौलत और औरत को छोड़ कर के कश्मीर से चले जाएं। जब दिल्ली विश्वविद्यालय में नारा लग रहा था कितने अफजल मारोगे घर घर से अफजल निकलेगा भारत के टुकड़े टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह इंशाल्लाह तब कांग्रेस के अध्यक्ष उनके समर्थन में दिल्ली विश्वविद्यालय जाकर अपने विचार रखें यह हमारे देश के नेता हैं। 5 अगस्त 2019 भारत के लिए अति महत्वपूर्ण में है क्योंकि पहली बार लद्दाख से कन्याकुमारी तक एक निशान एक संविधान जिसे अपने प्राण न्योछावर कर जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नारा दिया था वह फलीभूत हो रहा था क्योंकि देश के लिए कश्मीर जमीन मात्र का टुकड़ा नहीं है कश्मीर धर्म और दर्शन का केंद्र स्थल रहा है।
    चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपनी यात्रा विवरण में लिखा है शारदा पीठ के पास एक ऐसा विद्यापीठ है जहां विश्व के विद्यार्थी ज्ञान अर्जन करते हैं वह शारदा पीठ जम्मू कश्मीर में है। इसी शारदा पीठ में मां वांग देवी का दर्शन हिंदू धर्म के आदि गुरु शंकराचार्य ने दर्शन किया। परंतु विडंबना है बांग देवी का मंदिर पाक अधिकृत कश्मीर पवित्र नदी कृष्ण गंगा जो मुजफ्फराबाद जिले में है वहां स्थित है जिसे वापस लाना वर्तमान शासन की प्रमुख भाई नरेंद्र मोदी जी को करने का शेष बाकी है।
    अब कहने की जरूरत नहीं है कि जम्मू कश्मीर भारत का अंग है जैसे हम इसके पहले गुजरात पंजाब बिहार छत्तीसगढ़ झारखंड को कहने की जरूरत नहीं होती थी कि भारत का अंग है केवल हम बार-बार जम्मू कश्मीर को भारत का अंग बता रहे थे क्योंकि अंग तो मेरे देश का राज्य था पर पूर्णता नहीं था इसलिए हम एहसास कराते थे पर अब कहने की जरूरत नहीं है लद्दाख से कन्याकुमारी तक भारत है। पटेल जी को सरदार की उपमा भारत दिया लौह पुरुष अब अमित भाई साहब को असरदार कहना चाहिए, भारत के हर चौक चौराहे पर यह प्रचलित हो गया था की मोदी है तो मुमकिन है अब तो पूर्णता प्रूफ हो गया कि मोदी है तो मुमकिन है।
    ………………।।।।।जय हिंद ,जय भारत।।।।।………….

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