नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में एसपीजी संशोधन बिल पेश किया. अमित शाह ने कहा कि इस कानून में कुछ बदलाव के लिए यह बिल लेकर आए हैं. शुरुआत में एसपीजी एक अधिशासी आदेश के तहत काम करती थी. बाद में एक कानून बना, जिसके बाद स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप काम करने लगा. अमित शाह ने कहा कि अब सिर्फ मौजूदा प्रधानमंत्री को यह सुरक्षा मिलेगी. इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार को पांच साल तक यह सुविधा मिलेगी.कांग्रेस का पक्ष रखते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि तय प्रक्रिया के आधार पर खतरे का आकलन किया जाता है और उसके मुताबिक ही सभी लोगों को सुरक्षा दी जाती है. उन्होंने कहा कि इस बिल में पूर्व प्रधानमंत्रियों को सिर्फ 5 साल के लिए ही एसपीजी सुरक्षा देने की बात है. तिवारी ने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर कैसे पता चलता है कि जिस व्यक्ति को अभी तक खतरा था, अब नहीं है. उन्होंने महात्मा गांधी, अब्राहम लिंकन, बेअंत सिंह, इंदिरा गांधी की हत्या का उदाहरण दिया.
पूर्व पीएम के परिवारों को नहीं मिलेगी एसपीजी सुरक्षा
मनीष तिवारी ने कहा कि आखिर सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को लेकर खतरे में ऐसी क्या कमी आ गई है कि सुरक्षा वापस ले ली गई. तिवारी ने कहा, यह जो खतरे के आकलन की प्रक्रिया है, यह बहुत सब्जेक्टिव प्रक्रिया है. सदन में ऐसे बहुत से सदस्य हैं, जिन्हें सरकार ने सुरक्षा दी है. उन्होंने अपनी ही उदाहरण देते हुए कहा, 1984 में आतंकियों ने जब मेरे पिता की हत्या की तो हमें सुरक्षा दी गई. 1990 में सरकार बदली और रात में ही सारी सुरक्षा गायब हो गई. फिर 1991 में सरकार बदली तो सुरक्षा वापस हुई. ऐसे कई सदस्य होंगे, जिनका ऐसा ही अनुभव रहा होगा. खतरे के आकलन की प्रक्रिया पूरी तरह से राजनीतिक है.
गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा हटने पर बिफरी कांग्रेस
सीनियर कांग्रेस लीडर ने कहा कि जब पीएम कोई संवेदनशील निर्णय लेते हैं तो उनकी सुरक्षा इतनी दुरुस्त होनी चाहिए कि कोई व्यक्ति उन्हें किसी प्रकार की हानी न पहुंचा सके. ऐसे में यदि क्या वह पद से हट जाते हैं तो क्या वह चुनौती खत्म हो जाती है. इसलिए क्योंकि जो लोग किसी को मारना चाहते हैं, वह उस वक्त की प्रतीक्षा करते हैं, जब सुरक्षा चुस्त दुरुस्त न हो.