कुंडहित/जामताड़ा : पहली बार भगवान जगन्नाथ अपने मासी बाड़ी नहीं जा सके। कोरोनावायरस की वजह से सदियों पुरानी यह परंपरा मंगलवार को टूट गई। मंगलवार को कुंडहित मुख्यालय के दोनों मंदिरों में भगवान जगन्नाथ की रथ तो सज धज कर तैयार हुई लेकिन रथ का परिभ्रमण नहीं कराया जा सका। प्रशासन द्वारा इसकी अनुमति नहीं दी गई। रथ परिभ्रमण नहीं होने के कारण पहली बार कुंडहित में रथयात्रा के दिन मेला नहीं लग पाया। उल्लेखनीय है कि रथयात्रा कुंडहित के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। रथ यात्रा के दिन विशेष गहमागहमी रहती है और काफी बड़ी तादाद में कुंडहित एवं आसपास के इलाके से लोग रथयात्रा का मेला देखने कुंडहित पहुंचते हैं। मेला नहीं लगने के कारण इस बार श्रद्धालुओं का आवागमन नगण्य नहीं रहा। मंदिर समिति से जुड़े लोगों ने भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलराम और सुभद्रा की पूजा अर्चना की। भक्तों की संख्या जरूर कम थी लेकिन पूजा को लेकर होने वाले जोश और उत्साह में कोई कमी नहीं थी। गिने-चुने भक्तों ने पूरे जोशो खरोश के साथ पूजा अर्चना की प्रक्रिया पूरी की। कुंडहित का रथ मेला आसपास के क्षेत्र में खासा चर्चित रहा है लेकिन कोरोनावायरस की वजह से इस बार मेले का आयोजन नहीं किया जा सका। वही मुख्यालय में भी स्थानीय भक्तगण ही पूजा अर्चना की प्रक्रिया पूरी करने में जुटे रहे। बताते चलें कि कुंडहित मुख्यालय के अलावा प्रखंड के बनकाठी, बाबूपुर में भी रथ यात्रा का आयोजन किया जाता रहा है। लेकिन इस बार वहां भी काफी सीधे साधे ढंग से रथ यात्रा की परंपराओं का निर्वहन किया गया। बहरहाल पहली बार परंपरा के खिलाफ रथयात्रा का उत्सव मना कर भी नहीं मनाया जा सका।