निजाम खान
*आज बेटियां किसी भी क्षेत्र में कम नहीं:- उपायुक्त जामताड़ा श्री गणेश कुमार(भा.प्र.से.)*
*बेटियां आर्थिक रूप से भी अपने परिवार को समृद्ध कर रही है:- उपायुक्त जामताड़ा*
समाज कल्याण, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि विभागों की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण, बेटी होने पर गर्व करें आएं हाथ मिलाएं बेटी बचाएं, इसे सफल बनाने हेतु जागरूकता अभियान को करें तेज – उपायुक्त जामताड़ा, श्री गणेश कुमार (भा0प्र0से0)
पीसी एवं पीएनडीटी के तहत समाहरणालय सभाकक्ष में उपायुक्त जामताड़ा श्री गणेश कुमार(भा.प्र.से.) के अध्यक्षता में वर्कशॉप का आयोजन किया गया।
वर्कशॉप में पीसी एवं पीएनडीटी एक्ट को दृढ़ता से लागू करने पर गहन चर्चा की गई। अल्ट्रासाउंड केंद्रों के निरीक्षण एवं रेड करने से संबंधित कानूनी जानकारियां दी गई।
इस दौरान सिविल सर्जन डॉ. आशा एक्का द्वारा वर्कशाप के जरिये हर पहलू को समझाया गया।
वर्कशॉप में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना को गंभीरता से लागू करने की अपील की गई ताकि जिले में लिंगानुपात का और अधिक सुधार किया जा सके।
उपायुक्त ने कहा कि महिलाओं और बच्चियों का सम्मान हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। आज के समय में कन्या भ्रूण हत्या जैसा कृत्य करने वाले लोगों के विरूद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई के लिए सरकार ने कठोर नियम बनाए हैं। इन नियमों का पालन कराना हम सबकी जवाबदारी है। बच्चियों के पैदा होने से पहले ही उनकी हत्या करने का कृत्य करने वालों के विरूद्ध कठोर से कठोर कार्रवाई होना चाहिए।
उपायुक्त ने कहा कि लड़का-लड़कियों के लिंग अनुपात में समानता लाने के लिए भी सभी स्तर पर प्रयास किया जाय। इन प्रयासों में समाज की सक्रिय भागीदारी नितांत आवश्यक है। महिलाओं को समाज में आर्थिक, सामाजिक एवं अन्य क्षेत्रों में बराबरी की भागीदारी मिले, इसके लिए हम सबको सकारात्मक सोच के साथ कार्य करने की आवश्यकता है।
उपायुक्त ने कार्यशाला में भ्रूण हत्या को रोकने के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने वाले को पुरस्कृत करने की बात कहीं।साथ ही कहा कि सभी अपने अपने स्तर से भी लोगों को जागरूक करेंगे।
कार्यशाला में पधारे विशेषज्ञों द्वारा भी पीसी-पीएनडीटी एक्ट के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई।
इसके साथ ही जिलों से आए चिकित्सकों ने भी अपने-अपने स्तर में किए जा रहे प्रयासों के बारे में बताया।
*क्या है पीसीपीएनडीटी एक्ट*
पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम, 1994 भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक ‘पीएनडीटी’ एक्ट 1996, के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डाक्टर, लैब कर्मी को तीन से पांच साल सजा और 10 से 50 हजार जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
मौके पर सिविल सर्जन आशा एक्का,जिला शिक्षा पदाधिकारी श्री बांके बिहारी सिंह,जिला भू अर्जन पदाधिकारी श्रीमती अंजना दास,अस्पताल उपाधीक्षक SK मिश्रा, डीपीएम जेएसएलपीएस, रेडक्रॉस सचिव सहित संबंधित पदाधिकारी जनप्रतिनिधि लिपिक दीपक मंडल सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।