Close Menu
Rashtra SamvadRashtra Samvad
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • होम
    • राष्ट्रीय
    • अन्तर्राष्ट्रीय
    • राज्यों से
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
      • ओड़िशा
    • संपादकीय
      • मेहमान का पन्ना
      • साहित्य
      • खबरीलाल
    • खेल
    • वीडियो
    • ईपेपर
      • दैनिक ई-पेपर
      • ई-मैगजीन
      • साप्ताहिक ई-पेपर
    Topics:
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Home » आईआईटी हैदराबाद का खुलासा : साबुन और टूथपेस्ट में पाया जाने वाला ट्राइक्लोसैन नर्वस सिस्टम पर डालता है बुरा असर
    Breaking News Headlines

    आईआईटी हैदराबाद का खुलासा : साबुन और टूथपेस्ट में पाया जाने वाला ट्राइक्लोसैन नर्वस सिस्टम पर डालता है बुरा असर

    Devanand SinghBy Devanand SinghDecember 17, 2020No Comments2 Mins Read
    Share Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Share
    Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link

    हैदराबाद. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) हैदराबाद के शोधकर्ताओं ने टूथपेस्ट, साबुन और दुर्गन्ध वाले दैनिक उपयोग के उत्पादों में पाए जाने वाले ट्राइक्लोसन को खतरनाक पाया है. शोध के निष्कर्षों को हाल ही में यूनाइटेड किंगडम से प्रकाशित एक प्रमुख वैज्ञानिक पत्रिका, Chemosphere में प्रकाशित किया गया था.

    ट्राइक्लोसन एक एंटी बैक्टीरियल और एंटी माइक्रोबियल एजेंट है जो मानव शरीर के नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) को प्रभावित करता है. इस रसायन को रसोई की वस्तिओं और कपड़ों में पाया जा सकता है.

    उल्लेखनीय है कि 1960 के दशक में इसका इस्तेमाल केवल मेडिकल केयर उत्पादों तक ही सीमित था. हाल ही में अमेरिकी एफडीए (खाद्य एवं औषधि प्रशासन) ने ट्राइक्लोसन के खिलाफ प्रमाणों की समीक्षा की थी और इसके इस्तेमाल पर आंशिक प्रतिबंध लगाया था.

    डॉ. अनामिका भार्गव ने कहा, इस अध्ययन से पता चलता है कि सूक्ष्म मात्रा में भी ट्राइक्लोसन न केवल न्यूरोट्रांसमिशन से संबंधित जीन और एंजाइमों को प्रभावित कर सकता है बल्कि, यह न्यूरॉन को भी नुकसान पहुंचा सकता है. यह एक ऑर्गेनिज्म के मोटर फंक्शन को प्रभावित कर सकता है.

    उन्होंने कहा कि मानव ऊतकों और तरल पदार्थों में ट्राईक्लोसन की उपस्थिति से मनुष्यों में न्यूरो-व्यवहार में बदलाव हो सकता है, जो आगे चलकर न्यूरो-अपक्षयी रोगों से जुड़ा हो सकता है.

    Share. Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Previous Articleगुजरात: निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका, प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का इस्तीफा
    Next Article आईएमडी का एलर्ट, जबर्दस्त ठंड के आसार, उत्तर में शीतलहर तो दक्षिण में बारिश करेगी बुरा हाल

    Related Posts

    टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन को मिला सम्मान

    May 8, 2025

    फादर जेराल्ड मार्टिन डिसूजा मेमोरियल इंटर स्कूल बॉस्केटबॉल टूर्नामेंट 2025 का आयोजन

    May 8, 2025

    ईडी ने कारोबारी विक्की भालोटिया को किया गिरफ्तार

    May 8, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    अभी-अभी

    टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन को मिला सम्मान

    फादर जेराल्ड मार्टिन डिसूजा मेमोरियल इंटर स्कूल बॉस्केटबॉल टूर्नामेंट 2025 का आयोजन

    ईडी ने कारोबारी विक्की भालोटिया को किया गिरफ्तार

    हम सेना के पराक्रम को सलाम करते हैं:राकेश तिवारी

    हरि मंदिर से चोरी करते एक युवक को स्थानीय लोगों ने रंगे हाथ धर दबोचा

    मोदी के सिंदूर ऑपरेशन से आतंक का आका रोया:डॉक्टर विशेश्वर यादव

    जादूगोड़ा यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड में बड़े घोटाले की साजिश का खुलासा

    जिला कांग्रेस ने ऑपरेशन सिंदूर को सफल बनाने के लिए भारतीय सेना को धन्यवाद दिया – आनन्द बिहारी दुबे

    संवेदक स्थानीय लोगों को डरा रहे थे थाने में दर्ज होगा मुकदमा विकास सिंह

    रेड क्रॉस भवन में भारतीय रेड क्रॉस सोसाईटी, पूर्वी सिंहभूम द्वारा रक्तदान महायज्ञ का आयोजन

    Facebook X (Twitter) Telegram WhatsApp
    © 2025 News Samvad. Designed by Cryptonix Labs .

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.