अपनी जिंदगी को आवश्यक बचाएं,सद्दाम हुसैन प्रदेश प्रवक्ता कौमी इत्तैहाद मोर्चा।
इस वर्ष रमजान का हाल कुछ दशकों के रमजानों से भिन्न है।
इस बार रमजान के सभी उद्देश्यों को अपने जीवन मे सही मायनों में आत्मसात करने तथा इस्लाम धर्म के कठोर अनुशासन के नियमों को चरितार्थ करने का अवसर हे।
पुरा विश्व कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रहा है इस संक्रमण के विरोध उपायों में जहां बहुत सारे चिकित्सक तथा स्वच्छता के नियमों का अपनाया जा रहा है,वहीं सबसे कारगर उपायों में सामाजिक दूरी बनाने एवं सार्वजनिक स्थानों पर न जाने के नियमों का विशेष रूप से पालन किया जा रहा है।
इस वर्ष कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि में सामाजिक दूरी बनाए रखना ना केवल अनिवार्य हे बल्कि कई मायनों में संव्यं कुरान की शिक्षा एवं पैगंबर साहब के कथनों अनुसार जीवन रक्षा तुल्य कार्य है जिस पर अमल करना परंपरिक रूप से जमात से नमाज अदा करना अथवा अफतार पार्टी के सर्वजनिक आयोजनों से किसी प्रकार कम नहीं होगा। रोजा तथा नमाज के नियमों का पालन जिवित मनुष्यों के लिए अनिवार्य है अर्थात एक व्यक्ति जीवित रह कर ही इन नियमों का पालन कर सकता है,इसलिए देखा जाए तो जीवित रहना अर्थात जीवन को बचाना परम आवश्यक कर्म है और वास्तव में यही धर्म हे।अतः आवश्यक है कि इस बार नमाज तराविह और अफतार आदि का आयोजन व्यक्तिगत रूप से अपने घरों में ही करें।
यदि मई महीने के अंत तक कोरोना संक्रमण की स्थिति में सुधार नहीं हेता हे तो हमें ईद की नमाज त्याग के लिए भी मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए।
बिला जरूरत ईद की मार्केटिंग करने से दूरी रहना चाहिए।
अपने पड़ोस के गरीब जरूरतमंदों का खूब ख्याल रखने चाहिए। उक्त बातें कौमी इत्तेहाद मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता मौलाना सद्दाम हुसैन ने कहा।