प्रदर्शनकारी पहलवानों को दी जा रही छूट को लेकर गुस्से में युवा रेसलर्स
नई दिल्ली. कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियाई चैंपियनशिप की पदक विजेताओं सहित कई महिला पहलवानों ने प्रदर्शन करने वाले 6 पहलवानों को छूट दिए जाने की खबरों के बीच भारतीय ओलंपिक संघ और भारतीय कुश्ती महासंघ को चलाने वाले तदर्थ पैनल को पत्र लिखकर एशियाई खेलों के लिए निष्पक्ष ट्रायल्स कराने की मांग की है. रोहतक के सर छोटूराम अखाड़े की 24 महिला पहलवानों ने भारतीय खेल प्राधिकरण के महानिदेशक संदीप प्रधान को भी पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि वह दो चरण के ट्रायल या प्रदर्शनकारी पहलवानों को मिलने वाली छूट को स्वीकार नहीं करेंगे.
आईओए द्वारा नियुक्त तदर्थ पैनल ने 22 और 23 जुलाई को एशियाई खेलों के लिए ट्रायल्स करवाने की घोषणा की है लेकिन इसके लिए क्या मानदंड अपनाए जाएंगे इसका खुलासा नहीं किया. तदर्थ पैनल अगर भेदभाव पूर्ण फैसला करता है तो पहलवान फिर से प्रदर्शन करने और अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए तैयार हैं. पैनल के प्रमुख भूपेंदर सिंह बाजवा ने 16 जून को विरोध करने वाले छह पहलवानों – बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक, संगीता फोगाट, सत्यव्रत कादियान और जिरेंदर किन्हा से कहा था कि उन्हें शुरुआती ट्रायल्स के विजेता के खिलाफ केवल एक मुकाबला खेलना होगा.
आईओए को एशियाई खेलों में भाग लेने वाले पहलवानों की सूची 23 जुलाई तक सौंपनी है. पहलवानों ने अपने पत्र में लिखा है,‘भले ही तीन पहलवानों को छूट दी जा रही हो पर यह युवाओं के साथ गलत होगा.’ इस पत्र की प्रति खेल मंत्री अनुराग ठाकुर को भी भेजी गई है. पत्र में कहा गया है,‘हमें लगता है कि यह निर्णय (दो चरण का ट्रायल) देश के अन्य उभरते पहलवानों के लिए अनुचित और अन्यायपूर्ण है क्योंकि हमें लगभग चार से पांच मुकाबले और एक और क्वालीफाइंग मुकाबला लड़ना और जीतना है और इसके विपरीत उन्हें क्वालीफाई करने के लिए केवल एक मुकाबला लड़ना होगा जो कि पक्षपातपूर्ण, अनुचित और समानता के अधिकार की भावना के खिलाफ है.’
इसमें कहा गया है,‘भारत लोकतांत्रिक देश है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार प्रत्येक नागरिक को समानता का अधिकार दिया जाना जरूरी है. भारतीय संविधान उदार है लेकिन समिति का फैसला किसी एक व्यक्ति विशेष को मिलने वाले अवसर के मूल अधिकारों के खिलाफ है क्योंकि हमें समान मौके नहीं दिए जा रहे हैं और इन छह पहलवानों को बिना किसी उचित कारण के ट्रायल में विशेष छूट दी जा रही है जो कि घोर आपत्तिजनक है. ’