लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पास, पक्ष में पड़े 454 वोट
महिला आरक्षण बिल को राहुल गांधी ने बताया अधूरा
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लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पारित हो गया है. बिल के पक्ष में 454 मत पड़े जबकि दो सांसदों ने इसके विरोध में वोट दिया.
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संसद की नई इमारत में कार्यवाही मंगलवार से शुरू हुई. पहले दिन क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण से जुड़ा विधेयक पेश किया था.
इस विधेयक में संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है. महिला आरक्षण के लिए पेश किया गया विधेयक 128वां संविधान संशोधन विधेयक है.
इस क़ानून को लागू करने के लिए लोकसभा और राज्यसभा को इस विधेयक को दो-तिहाई बहुमत से पास करना होगा. इसके बाद जनगणना के बाद परिसीमन की कवायद की जाएगी.
परिसीमन में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की जनसंख्या के आंकड़ों के आधार पर सीमाएं तय की जाती हैं. पिछला देशव्यापी परिसीमन 2002 में हुआ था. इसे 2008 में लागू किया गया था. परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के भंग होने के बाद महिला आरक्षण प्रभावी हो सकता है.
विधेयक में कहा गया है कि लोकसभा, राज्यों की विधानसभाओं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. इसका मतलब यह हुआ कि लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी.
लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए सीटें आरक्षित हैं. इन आरक्षित सीटों में से एक तिहाई सीटें अब महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी.
इस समय लोकसभा की 131 सीटें एससी-एसटी के लिए आरक्षित हैं. महिला आरक्षण विधेयक के क़ानून बन जाने के बाद इनमें से 43 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. इन 43 सीटों को सदन में महिलाओं के लिए आरक्षित कुल सीटों के एक हिस्से के रूप में गिना जाएगा.
इसका मतलब यह हुआ कि महिलाओं के लिए आरक्षित 181 सीटों में से 138 ऐसी होंगी जिन पर किसी भी जाति की महिला को उम्मीदवार बनाया जा सकेगा यानी इन सीटों पर उम्मीदवार पुरुष नहीं हो सकते.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि महिला आरक्षण बिल पारित होते ही महिलाओं के अधिकारों के लिए एक लंबी लड़ाई का अंत हो जाएगा.
अमित शाह ने कहा, “कुछ पार्टियों के लिए महिला सशक्तीकरण पॉलिटिकल एजेंडा हो सकता है. राजनीतिक मुद्दा हो सकता है. ये नारा चुनाव जीतने का हथियार हो सकता है. लेकिन मेरी पार्टी और मेरे नेता नरेंद्र मोदी के लिए महिला सशक्तीकरण राजनीतिक मुद्दा नहीं है. मान्यता का सवाल है.”
कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने कहा है कि महिला आरक्षण बिल में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) का कोटा होना चाहिए. राहुल गांधी ने कहा, “ओबीसी रिजर्वेशन इस बिल में शामिल होना चाहिए. भारत की आबादी के बड़े हिस्से को आरक्षण मिलना चाहिए. जो इसमें नहीं है.”
उन्होंने कहा, “मेरे अनुसार इस बिल में एक चीज ऐसी है जिससे ये अधूरा है. वो है ओबीसी रिज़र्वेशन. भारत की बड़ी महिला आबादी को इस रिज़र्वेशन में शामिल करना चाहिए था. इसके अलावा दो चीजें ऐसी हैं जो अजीब हैं.”
“दो चीजें जो अजीब हैं-एक तो ये कि आपको इसे लागू करने के लिए जनगणना की जरूरत है और दूसरा परिसीमन.”
मुझे पता है, “मेरे दोस्त लोगों का अन्य मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहते हैं. निश्चित तौर पर अदानी मुद्दा. जिससे हमेशा वो ध्यान हटाना चाहते हैं.”
राहुल गांधी नई संसद में पहली बार चर्चा में हिस्सा ले रहे थे. उन्होंने कहा, “ये एक अच्छी इमारत है, लेकिन मैं इस प्रोसेस में भारत की राष्ट्रपति को देखना चाहता था. वो एक महिला हैं और एसटी कम्युनिटी से आती हैं. और ये अच्छा होता कि इस बदलाव में दिखतीं.”
महिला आरक्षण बिल पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा है कि आज महिलाओं को न्याय मिल रहा है.
उन्होंने कहा, “आज हम महिलाओं को न्याय दे रहे हैं. बिल पास करके हम महिलाओं को और सशक्त कर रहे हैं.”