नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ का जिम्मेदार कौन?
देवानंद सिंह
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार को मची भगदड़ ने कई सवाल खड़े किए हैं। यह अत्यंत दुखद है कि इस हादसे में 18 लोगों की जान चली गई, जबकि कई अन्य लोग घायल हुए हैं। यह घटना न केवल भारतीय रेलवे की सुरक्षा और प्रबंधन व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि हमारे सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था, प्रशासन की लापरवाही और नागरिकों की जिम्मेदारी पर भी गंभीर चिंताएं व्यक्त करती है।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन देश का एक प्रमुख और अत्यधिक भीड़-भाड़ वाला रेलवे स्टेशन है, यह घटना उस समय घटी, जब बड़ी संख्या में यात्री एक विशेष ट्रेन के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे। जैसे ही ट्रेन का वक्त पास आया, अचानक से भीड़ बढ़ गई और भीड़ भगदड़ में बदल गई। यह भगदड़ इतनी भयावह थी कि इसमें 18 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य लोग घायल हो गए। यह घटनाक्रम एक बार फिर भारतीय रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी कमजोरियों को उजागर करता है।
सबसे पहला और प्रमुख सवाल यह उठता है कि इस घटना के लिए भारतीय रेलवे प्रशासन जिम्मेदार है या नहीं ? रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ की स्थिति को नियंत्रित करने में विफलता, सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन न करना, और आपातकालीन प्रतिक्रिया की कमी यह सब भारतीय रेलवे के जिम्मेवार विभागों की लापरवाही को दर्शाते हैं। रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी भारतीय रेलवे की होती है, लेकिन इस घटना में साफ दिखता है कि उपयुक्त योजना और प्रबंधन की कमी थी। यदि, रेलवे प्रशासन ने समय रहते उपाय किए होते, तो इस तरह के भयानक परिणाम से बचा जा सकता था।
केवल रेलवे ही नहीं, बल्कि राज्य और केंद्रीय प्रशासन भी इस घटना के जिम्मेदार हैं। भारतीय रेलवे के लिए सुरक्षा उपायों का निर्धारण सरकार के स्तर पर होता है। यह भी महत्वपूर्ण है कि ऐसे बड़े स्थानों पर पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बल और पुलिस मौजूद रहे ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति का सामना किया जा सके। राज्य सरकार की ओर से रेलवे स्टेशनों पर यात्री सुरक्षा को लेकर किए गए उपायों की समीक्षा करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हों।
इसके साथ-साथ, यात्री भी इस तरह की घटनाओं के लिए कुछ हद तक जिम्मेदार हो सकते हैं। कभी-कभी लोग अत्यधिक भीड़-भाड़ में गुस्से में आकर और बिना सोचे-समझे अराजकता का कारण बनते हैं। हालांकि, यह नहीं कहना है कि नागरिकों को इस दुर्घटना का पूरा दोष देना चाहिए, लेकिन यह जरूर जरूरी है कि यात्री भी अपने व्यवहार में संयम बनाए रखें और किसी भी आपातकालीन स्थिति से बचने के लिए प्रशासन की सलाह मानें।
रेलवे स्टेशन पर असामान्य रूप से भारी भीड़ होने से यह स्पष्ट था कि व्यवस्थाएं पहले से ही दबाव में थीं। जब एक साथ बड़ी संख्या में यात्री एकत्र होते हैं, तो यात्री प्रवाह का सही तरीके से प्रबंधन करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यदि ,ऐसा प्रबंधन नहीं किया जाता, तो ऐसी घटनाएं होना लाजमी हैं। इस घटना में भी भारी भीड़ के कारण भगदड़ मचने की संभावना बहुत बढ़ गई थी।
यह घटना यह भी दर्शाती है कि रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोई ठोस योजना और उपाय नहीं थे। गेटों और प्लेटफार्मों पर पर्याप्त पुलिस या सुरक्षा बल की कमी ने भगदड़ को और बढ़ावा दिया। इसके अलावा, सही तरीके से बैरिकेड्स का न होना और आपातकालीन निकासी रास्तों की समस्या भी एक महत्वपूर्ण कारण था।
ट्रेन की समय पर या देर से आने की स्थिति भी यात्रियों को अराजकता की ओर ले जाती है। यात्रियों को ट्रेन के समय का सही तरीके से निर्धारण और सूचना मिलने पर वे अपने स्थान पर बने रह सकते थे, लेकिन जब ट्रेन के समय में कोई अनिश्चितता या देरी होती है, तो यात्री जल्दी में होते हैं और यह स्थिति संघर्ष और भगदड़ को बढ़ाती है।
भारतीय रेलवे को अपनी सुरक्षा और यात्री प्रबंधन व्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता है। रेलवे स्टेशनों पर स्मार्ट सुरक्षा उपायों की शुरुआत करनी चाहिए, जैसे कि बेहतर सूचना प्रणाली, ट्रेन समय पर अपडेट, और यात्री प्रवाह का बेहतर नियंत्रण। साथ ही, स्टेशनों पर यात्रियों के लिए अलग-अलग क्षेत्रों का निर्धारण और यात्री दिशानिर्देशों का पालन करना भी अनिवार्य है।
रेलवे प्रशासन को आपातकालीन सुरक्षा योजना को लागू करना होगा। यह योजना सुरक्षा बलों की तैनाती, यात्रियों की भीड़ को नियंत्रित करने के उपाय और भगदड़ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए जमीनी कार्यवाही को सुनिश्चित करेगी।यात्रियों को अपनी जिम्मेदारी का एहसास कराना और उन्हें समझाना भी जरूरी है कि वे सुरक्षा निर्देशों का पालन करें। इसके लिए रेलवे प्रशासन को नियमित जागरूकता अभियान चलाने होंगे, ताकि यात्री समझें कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में उनका संयम कितना महत्वपूर्ण है।
कुल मिलाकर, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ की घटना एक गंभीर चेतावनी है कि हमें अपनी यात्री सुरक्षा व्यवस्था को फिर से मजबूत करने की आवश्यकता है। यह घटना हमें यह समझाती है कि प्रशासन, रेलवे और नागरिकों को मिलकर इस तरह की आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। इससे ना केवल भविष्य में होने वाली घटनाओं को रोका जा सकता है, बल्कि भारतीय रेलवे प्रणाली को भी एक सुरक्षित और व्यवस्थित रूप दिया जा सकता है।