तेरी फुरक़त में रो पड़े हैं हम
दर्दे-उल्फ़त में रो पड़े हैं हम
कल वो बिछड़ा तो ख़ूब रोया था
आज क़ुर्बत में रो पड़े हैं हम
उसको ये ऐतबार हो कैसे
उसकी चाहत में रो पड़े हैं हम
उसकी आँखों में देख ली दुनिया
जिसकी हसरत में रो पड़े हैं हम
लाख सदक़े हों तेरी जन्नत के
तेरी जन्नत में रो पड़े हैं हम
काश उसको यक़ीन हो जाये
उसकी गफ़लत में रो पड़े हैं हम
क्या करेंगे भला मुहब्बत में
जब कि नफ़रत में रो पड़े हैं हम
वो चढाने को फूल आया है
और तुर्बत में रो पड़े हैं हम
कल वो उल्फ़त में रोया था ‘सोनी’
आज उल्फ़त में रो पड़े हैं हम
दर्दे-उल्फ़त ; प्यार का दर्द
फुरक़त : जुदाई
क़ुर्बत : रिश्ता, सम्बन्ध
सदके : उतारा, ईश्वर के नाम पर दी गई वस्तु
गफ़लत:बेपरवाही
तुर्बत : कब्र
सोनी सुगन्धा