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    Home » तिरुपति में 3 करोड़ से घटकर मात्र 10 लाख हुआ चढ़ावा
    Headlines धर्म

    तिरुपति में 3 करोड़ से घटकर मात्र 10 लाख हुआ चढ़ावा

    Devanand SinghBy Devanand SinghMay 18, 2021No Comments4 Mins Read
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    कोरोनावायरस संक्रमण से आम आदमी ही प्रभावित नहीं है बल्कि भगवान भी इस घातक वायरस के प्रभाव से अछूते नहीं हैं। दक्षिण भारत के प्रसिद्ध मंदिर तिरुमला तिरुपति देवस्थानम  पर संक्रमण और लॉकडाउन का इतना असर पड़ा है कि मंदिर में आने वाला चढ़ावा आम दिनों की तुलना में करीब 3 प्रतिशत ही रह गया है। दरअसल, इस काल में दर्शनार्थियों की संख्या भी नाममात्र की ही रह गई है।
    टीटीडी द्वारा ही दी गई जानकारी के मुताबिक 13 मई को मंदिर में 2141 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे, 12 मई को 1262 जबकि 11 मई को 2400 श्रद्धालुओं ने बालाजी के दर पर माथा टेका। जहां तक चढ़ावे की बात है तो आम दिनों में मंदिर में 3 करोड़ चढ़ावा (हुंडी) आता था, जबकि कोरोनाकाल के चलते 10 मई को 57 लाख, 11 मई को 24 लाख, 12 मई को 11 लाख, 13 मई को 17 लाख और 14 मई को मात्र 10 लाख रुपए का चढ़ावा आया। ऐसा पहली बार हुआ है जब मंदिर में इतना कम चढ़ावा आया है।
    दुकानदारों का धंधा चौपट : इसका दूसरा बड़ा असर तिरुमला के छोटे दुकानदारों पर हुआ, जिनका धंधा पूरी तरह चौपट हो गया। दरअसल, दुकानदार कोरोना के बढ़ते संक्रमण के डर से अपनी दुकान नहीं खोल रहे।

    जो इलाके कभी गुलजार रहते थे, वहां सन्नाटा है। इस बीच, कोरोना का ग्राफ नीचे जाने का नाम नहीं ले रहा है। कोरोना की दूसरी लहर से लोग बुरी तरह डरे हुए हैं, इसी बीच तीसरी लहर की अटकलें शुरू हो गई हैं। ऐसे में श्रद्धालुओं का डर और बढ़ गया है।
    इतिहास में पहली बार : कोरोना से पहले तिरुमला में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता था। आज सन्नाटा पसरा हुआ है, तिरुमला की पहाड़ियां खाली-खाली हैं। इस तरह के दृश्य इससे पहले कभी नहीं देखे गए।

    यह पहला मौका है कि जब भगवान और भक्तों के बीच इतनी दूरी है। यहां प्रतिदिन लाखों की संख्‍या में भक्त पहुंचते थे, बालाजी के दर्शन कर हर श्रद्धालु खुद को धन्य समझता था, लेकिन कोरोना की लहर ने सब कुछ बदलकर रखा दिया।
    हालांकि पिछले साल भी सख्त लॉकडाउन के चलते तीन महीने तक श्रद्धालुओं को बालाजी के दर्शन नहीं करने दिए गए थे। उस समय तिरुमला मंदिर में एकांत में ही पूजा-अर्चना की गई थी। टीटीडी के इतिहास में यह पहला मौका था जब श्रद्धालु भगवान से दूर रहे थे। कोरोना की पहली लहर लगभग थम गई थी। कोरोना की दूसरी लहर ऐसे समय शुरू हुई थी जब लगा था कि हम कोरोना से उबर रहे हैं, लेकिन मार्च के महीने में कोरोना केस एकदम से बढ़ने लगे। अप्रैल माह में कोरोना और बढ़ गया। इसके साथ ही मई माह में तो मौत का आंकड़ा भी अनपेक्षित रूप से बढ़ गया। यही कारण रहा है कि मंदिर में धीरे-धीरे श्रद्धालुओं की संख्‍या घटती गई।
    श्रीवारी दर्शन के टोकन के लिए पिछले महीने (अप्रैल) की 15 तारीख से काउंटर पर बंद कर दिए गए। तिरुपति में विष्णु निवास और भूदेवी परिसरों में टोकन जारी किए गए, लेकिन महाराष्ट्र और कर्नाटक से तिरुपति में ज्यादा श्रद्धालुओं के आने के कारण राज्य में कोरोना मामलों की संख्या बढ़ने लगी, क्योंकि महाराष्ट्र और कर्नाटक में बड़ी संख्‍या में कोरोना केस सामने आए हैं। वर्तमान में ये दो राज्य ही ऐसे हैं, जहां भारत में सबसे ज्यादा कोरोना के केस आ रहे हैं।

    कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों के बीच TTD ने ऑफलाइन दर्शन के टोकन देना बंद कर दिया, जो कि 15 हजार के लगभग दिए जाते रहे हैं। हालांकि भक्तों के लिए 25 हजार टोकन ऑनलाइन उपलब्ध थे, लेकिन धीरे-धीरे इस संख्‍या में भी कमी आ गई। कोरोना का खौफ इतना था कि बहुत से श्रद्धालु ऑनलाइन बुकिंग करवाने के बाद भी दर्शन के लिए नहीं पहुंचे। तिरुमला जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है। पहले यह संख्या 10 हजार, फिर 8 हजार पर सिमट गई। इसके बाद 6 हजार, 4 हजार और अब यह संख्या 3 हजार लगभग रह गई है।

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