बागेश्वरधाम कथा को लेकर लगी याचिका खारिज, सुनवाई के वक्त अधिवक्ता ने की बहस, कोर्ट ने कहा जिस दिन जेल भेजा तो वकालत भूल जाओगे
एमपी हाईकोर्ट ने बागेश्वरधाम पीठाधीश्वर धीरेन्द्र शास्त्री की कथा के खिलाफ लगी याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट को याचिकाकर्ता ने बताया कि इस तरह से कथा होने से आदिवासी समाज में भेदभाव पैदा हो रहा है. हाईकोर्ट में याचिका बालाघाट सर्व आदिवासी समाज की ओर से दायर की गई थी. जिसे जस्टिस विवेक अग्रवाल की कोर्ट ने आधारहीन मानते हुए खारिज कर दी.
सर्व आदिवासी समाज की ओर से उपस्थित हुए अधिवक्ता से कोर्ट ने पूछा कि आप बताए कैसे बागेश्वरधाम पीठाधीश्वर धीरेन्द्र शास्त्री की कथा से आदिवासी समाज आहत होगा. जिसपर याचिका कर्ता के अधिवक्ता जबाव नहीं दे पाए. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने जस्टिस से कहा कि आप मेरी बात को सुनने के लिए तैयार नहीं है. इस बात पर जस्टिस ने जमकर फटकार लगाते हुए कहा कि आपको कोर्ट में बहस करने का तरीका नहीं मालूम है. आप कब से वकालत कर रहे हैं.
जिस पर अधिवक्ता जीएस उद्दे ने कहा 2007-2008 से. कोर्ट ने कहा कि अगर आप इस तरह से बहस करेंगे तो क्या बहुत बड़ी टीआरपी कलेक्ट कर लेंगे. आप भूल जाते हो कि जिस दिन हमने जेल भेज दिया तो पूरी वकालत भूल जाओगे. कोर्ट ने कहा कि जितनी गर्मी आपने अपने केस को लेकर दिखाई है, अगर विनम्रता से कहते तो हम सुन भी लेते. अपने पक्षकार को बताएं कि हमारी गर्मी दिखाने के कारण केस खारिज कर दिया है. अब फिर से केस फाइल करें.