अभिनेता का शून्य होना उसके चरित्र के लिए आवश्यक है
राष्ट्र संवाद संवाददाता
जमशेदपुर — सांस्कृतिक कार्य निदेशालय (पर्यटन, कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग, झारखंड सरकार) एवं पथ – पीपुल्स एसोसिएशन फॉर थियेटर के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे 21 दिवसीय निःशुल्क नाट्य कार्यशाला के 11वें दिन का आयोजन अभिनय के दृष्टिकोण से अत्यंत प्रभावशाली और शिक्षाप्रद रहा ।कार्यशाला के प्रथम सत्र में प्रतिभागियों को भाव भंगिमा में त्वरित परिवर्तन” के व्यावहारिक अभ्यास से रूबरू कराया गया। एक रोचक खेल के माध्यम से यह सिखाया गया कि चुटकी बजते ही कैसे अपनी शारीरिक मुद्रा, चेहरे के हावभाव एवं संपूर्ण भाव-भंगिमा में परिवर्तन लाया जा सकता है। इस सत्र में विशेष ध्यान इस बात पर केंद्रित रहा कि संवाद के अभाव में भी कलाकार अपने शरीर और चेहरे के माध्यम से दर्शकों से संवाद कैसे स्थापित कर सकता है। यह अभ्यास प्रतिभागियों के लिए एक नया अनुभव था, जिसमें बिना बोले संवाद स्थापित करने की गहराई को आत्मसात किया गया।मुख्य प्रशिक्षक श्री मोहम्मद निज़ाम ने सत्र का मार्गदर्शन करते हुए कहा, “जब कलाकार मंच पर संवाद भूल जाए अथवा मंचीय परिस्थितियाँ योजना के अनुकूल न हों, तब ‘इंप्रोवाइजेशन’ ही कलाकार का सबसे बड़ा औज़ार होता है। यह केवल संकट से उबारने का माध्यम नहीं बल्कि सृजनात्मकता का जीवंत रूप भी है।” उन्होंने मंच पर सजगता, संवेदनशीलता और त्वरित निर्णय क्षमता के महत्व पर बल दिया। द्वितीय सत्र में प्रतिभागियों को मानसिक रूप से गहन अभिनय की तैयारी हेतु ‘विरेचन’ प्रक्रिया से परिचित कराया गया।
कार्यशाला में भाग ले रहे युवा प्रतिभागियों ने दिनभर के इन दोनों सत्रों को अत्यंत उपयोगी और प्रगतिशील बताया। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण न केवल मंचीय प्रस्तुति में उपयोगी है बल्कि आत्म-संवाद, आत्म-निरीक्षण और रचनात्मकता को भी नई दिशा देता है। यह कार्यशाला आने वाले दिनों में भी अभिनय, निर्देशन, मंच संयोजन तथा रंगमंच के विविध पक्षों पर केंद्रित रहेगी। इस अनूठी पहल के माध्यम से झारखंड के युवा कलाकारों को नाट्य विधा की बारीकियाँ सिखाने का सतत प्रयास किया जा रहा है।