सूर्यमंदिर परिसर में श्रीराम कथा के प्रथम दिन श्रीराम कथा महिमा एवं गुरु महिमा से मंत्रमुग्ध हुए श्रद्धालु, पूरा क्षेत्र हुआ भक्तिमय, आचार्य राजेंद्र जी महाराज ने कथा में किया वर्णन
■ पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, विधायक पूर्णिमा साहू सपरिवार एवं संरक्षक चंद्रगुप्त सिंह व अन्य ने व्यास पीठ का किया पूजन, 5 सदस्यीय संगीत मंडली ने मनमोहक भजन की दी प्रस्तुति
राष्ट्र संवाद संवाददाता
जमशेदपुर। सिदगोड़ा सूर्य मंदिर समिति द्वारा श्रीराम मंदिर स्थापना के पंचम वर्षगांठ के अवसर पर शनिवार को संगीतमय श्रीराम कथा का शंख मैदान में शुभारंभ हुआ। कथा प्रारंभ से पहले वैदिक मंत्रोच्चार के बीच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सह सूर्य मंदिर समिति के मुख्य संरक्षक रघुवर दास, विधायक पूर्णिमा साहू सपरिवार, संरक्षक चंद्रगुप्त सिंह, अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह, महासचिव अखिलेश चौधरी व अन्य ने कथा व्यास पीठ एवं व्यास का विधिवत पूजन किया। पूजन पश्चात श्रीधाम वृंदावन से पधारे मर्मज्ञ कथा वाचक आचार्य राजेंद्र जी महाराज, संगीत मंडली एवं अन्य सदस्यों का स्वागत किया गया। स्वागत के पश्चात कथा वाचक आचार्य राजेंद्र महाराज ने श्रीराम कथा के प्रथम दिन श्रीराम कथा महिमा एवं गुरु महिमा का वर्णन किया। कथा में 5 सदस्यीय संगीत मंडली ने मधुर व मनमोहक भजन प्रस्तुत कर पूरे क्षेत्र को भक्तिमय कर दिया। मर्मज्ञ कथा वाचक राजेंद्र जी महाराज ने श्रीराम कथा महिमा एवं गुरु महिमा की कथा सुनाकर श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। कथा में श्रद्धालुओं का जबरदस्त हुजूम देखने को मिला। पूरे कथा के दौरान भक्तिमय भजनों पर श्रद्धालु झूमते और आनंदित नजर आए। श्रीराम कथा के दौरान मंच का संचालन सूर्य मंदिर समिति के वरीय सदस्य राकेश सिंह ने किया। कथा विश्राम के पश्चात श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया गया।
प्रसंग का वर्णन करते हुए आचार्य राजेंद्र जी महाराज ने कहा कि श्रीराम कण-कण में रमण करने वाली शक्ति है और श्री राम की कथा श्रवण करने से इंसान भवसागर से पार हो जाता है। इसकी महिमा जितनी कही जाए, कम ही है। श्रीराम की भक्ति मन, वचन और कर्म की शुद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है।
गुरु महिमा का वर्णन करते हुए आचार्य राजेंद्र जी महाराज ने कहा कि भगवान जगत गुरू हैं, मनुष्य के जीवन में किसी न किसी गुरू की आवश्यकता रहती है। मनुष्य का जीवन बिना गुरू के अधूरा माना जाता है। गुरू के बिना ज्ञान नहीं मिलता और बिना ज्ञान के ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती। उन्होंने गुरु को जीवन रूपी पतंग की डोर के समान बताया, जो शिष्य को सही मार्गदर्शन देकर उसे ऊंचाइयों तक ले जाता है। बताया कि सही गुरु के मार्गदर्शन में चलने वाला व्यक्ति अज्ञानता के अंधकार से निकलकर आत्मज्ञान के प्रकाश में प्रवेश करता है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है।
*अयोध्याधाम में बने श्रीराम मंदिर के तर्ज पर सूर्यधाम में राम मंदिर का निर्माण किया गया: रघुवर दास*
*वहीं, कथा के प्रारंभ में कथा वाचक आचार्य राजेंद्र जी महाराज का स्वागत करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री एवं मंदिर समिति के मुख्य संरक्षक रघुवर दास ने कहा कि अयोध्याधाम में बने श्रीराम मंदिर के तर्ज पर सूर्यधाम में राम मंदिर का निर्माण किया गया। इसके साथ ही, सूर्य मंदिर समिति द्वारा मंदिर की स्थापना वर्षगांठ के उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष श्रीराम कथा के आयोजन का संकल्प लिया गया है, ताकि यह दिव्य परंपरा निरंतर चलती रहे और जनमानस को प्रभु श्रीराम के आदर्शों से प्रेरणा मिलती रहे। उन्होंने आयोजन को सफल बनाने में श्रद्धालुओं की भागीदारी और समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि श्रद्धालु अपने प्रेम, भक्ति और सहयोग से मंदिर समिति के प्रत्येक आयोजन को भव्य और दिव्य रूप प्रदान करते हैं, इसके लिए मैं सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। श्री दास ने लोगों से रामकथा में शामिल होने और मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के जीवन आदर्श को जीवन में उतारने की अपील की।*
श्रीराम कथा में जमशेदपुर पूर्वी की विधायक पूर्णिमा साहू, सूर्य मंदिर समिति के संरक्षक चंद्रगुप्त सिंह, समाजसेवी ललित दास, अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह, महासचिव अखिलेश चौधरी, अमरजीत सिंह राजा, शैलेश गुप्ता, शशिकांत सिंह, रूबी झा, बंटी अग्रवाल, कंचन दत्ता, प्रेम झा, दिनेश कुमार, विकास शर्मा, ओंकार सिंह, सतीश सिंह समेत अन्य मौजूद रहे।