आशा किरण आश्रय गृह में मरने वाले 14 लोगों में से कुछ को गंभीर बीमारियां थीं: आतिशी
राष्ट्र संवाद संवाददाता
नयी दिल्ली: दिल्ली की राजस्व मंत्री आतिशी ने शुक्रवार को कहा कि जुलाई में आशा किरण आश्रय गृह में मरने वाले 14 लोगों में से कुछ गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे। उन्होंने कहा कि अगर कोई लापरवाही पाई जाती है, तो दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
वहीं, राज निवास की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने रोहिणी स्थित आशा किरण आश्रय गृह में रहने वालों की मौत सहित दिल्ली सरकार के सभी आश्रय गृहों की स्थिति की व्यापक जांच के निर्देश दिए तथा एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी।
आशा किरण ‘‘मानसिक रूप से कमजोर’’ लोगों के लिए केंद्र है जो दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आता है। राज कुमार आनंद के इस्तीफे के बाद से विभाग के प्रमुख की नियुक्त नहीं की गई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं और उन्होंने इस विभाग का प्रभार किसी मंत्री को नहीं सौंपा है।
आतिशी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आशा किरण में 980 लोग रहते हैं और देखभाल करने वाले 450 लोग हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह बौद्धिक रूप से कमजोर लोगों के लिए एक आश्रय गृह है। बौद्धिक कमजोरी विभिन्न प्रकार की होती हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘गंभीर या गंभीर विकार से पीड़ित लोगों को अन्य बीमारियां भी होती हैं। जुलाई में 14 लोगों की मौत एक गंभीर मामला है।’’ मरने वाले 14 लोगों में से 13 वयस्क थे और एक नाबालिग था।
मंत्री ने कहा, ‘‘जिन लोगों की मौत हुई उनमें से कुछ को जून में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मैं यह कहना चाहती हूं कि उनकी मौत की भी चिकित्सकीय जांच होनी चाहिए।’’
आतिशी ने कहा कि घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए गए हैं और इसकी प्रारंभिक रिपोर्ट 24 घंटे में आ जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘अगर किसी अधिकारी की ओर से कोई लापरवाही पाई जाती है, तो उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। उनके खिलाफ पुलिस जांच भी शुरू की जाएगी।’’
इस बीच, उपराज्यपाल ने आशा किरण आश्रय गृह में मृतकों के माता-पिता या अभिभावकों को पर्याप्त मुआवजा देने को कहा है।
राज निवास के बयान में कहा गया है कि उपराज्यपाल ने समाज कल्याण विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग और डीयूएसआईबी द्वारा संचालित सभी आश्रय गृहों के संचालन पर एक श्वेत पत्र तैयार करने को कहा है, जिसमें व्यय, सुविधाएं, वहां रहने वालों की संख्या, उपलब्ध चिकित्सा सुविधाएं शामिल हों। उपराज्यपाल ने इसे तीन सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।