दयानंद कश्यप की रिपोर्ट
बेगुसराय :वरिष्ठ पत्रकार गौरी शंकर प्रसाद की हालत चिंताजनक और नाजुक । लगभग 37 वर्षों से अधिक समय तक पत्रकारिता एवं समाज सेवा कार्यों से जुड़े बरौनी नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत शोकहारा निवासी वरिष्ठ पत्रकार 91 वर्षीय गौरी शंकर प्रसाद इन दिनों जीवन और मौत से जूझ रहे हैं। वे लगभग 4 माह से अपने आवास पर बीमार है। उनकी आवाज और पहचान में कमी हो गई है। गत दिन उनकी स्थिति अचानक बिगड़ गई। अफरा- तफरी मच गई। उनके सभी परिजन पहुंच भी गए। इस खबर को सुनते हैं उनके सहयोगी वरिष्ठ पत्रकार आरटीआई एक्टिविस्ट गिरीश प्रसाद गुप्ता उनके आवास पर जाकर स्वास्थ संबंधी जानकारी लिया उस समय उनके द्वितीय पुत्र प्रदीप कुमार गुप्ता वहां उपस्थित थे। जिन्होंने अपने पिता से मेरा परिचय एवं पहचान कराया उन्होंने आगे बताया कि मेरे पिता गौरीशंकर प्रसाद 1960 के दशक में पत्रकारिता क्षेत्र में अपना जीवन प्रारंभ किया था और 1960 से 1997 लगभग 37 वर्षों तक वे पटना से प्रकाशित इंडियन नेशन अंग्रेजी अखबार का बरौनी क्षेत्र से सरकारी मान्यता प्राप्त संवादाता थे। इससे पूर्व 1957 में कोलकाता से प्रकाशित अंग्रेजी अखबार स्टेटमेंट, विश्वमित्र और सन्मार्ग अखबारों प्रेस में एडहौक वर्कर के रूप में कार्य करते थे। 27 जनवरी 1932 में शोकहारा ग्राम में दादा स्वर्गीय हृदय साह एवं पिता स्वर्गीय जागेश्वर लाल तथा माता स्वर्गीय चाला देवी के घर जन्म लिए गौरीशंकर प्रसाद का जीवन वृत्त काफी कष्टमय में और गरीबी से लड़ने वाला रहा है जो काफी हृदय विदारक है जिसकी एक लंबी कहानी है। वर्तमान में उनकी उम्र 91 वर्ष हो रहा है। वर्ष 1942 में उन्होंने अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए थे और वे 4 महीना भागलपुर जेल में काटा था उस समय उनके साथ स्व0 कैलाशपति मिस्र भी जेल में थे। वर्ष 1950 में उन्होंने बरौनी में स्वतंत्र पुस्तकालय का स्थापना भी किया था। वर्ष 1955 में उन्होंने सरस्वती संस्कृत उच्च विद्यालय शोकहारा में उप प्रधानाध्यापक पद पर नियुक्त हुए थे और वर्ष 1994 में उन्होंने प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त हो गए थे । वर्ष 1956 में प्रथम बार दीन हीन की नि:स्वार्थ सेवा भावना से उन्होंने बरौनी में ब्लाइंड रिलीफ कैंप का भी संचालन किया था तब से लगातार मुंगेर, बरौनी में ऐसे कैंपों में अपनी सेवाएं देते रहे जो 2000 तक चलता रहा है और अपनी नि:स्वार्थ सेवा देते रहे है और आज उनका जीवन नाजुक स्थिति मे पहुँच गई है।