भगवानपुर , बेगूसराय :कविया गांव का सरस्वती मंदिर सज धज कर तैयार है।दशकों से होने वाले पूजनोत्सव की खासियत यह है कि सालो भर पिंडी के रूप में सरस्वती की पूजा होती है और पूजा के समय मूर्ति की स्थापना कर श्रद्धापूर्वक व विधि विधान से पूजा होती है। अस्थाई रूप से लगने वाले दुकान आकार ले चुके हैं। यह प्राचीन मंदिरों में ऐसा इकलौता मंदिर है, जहां माता सरस्वती के मंदिर में पूरे वर्ष पिंडी के रूप में माता की पूजा- उपासना की जाती है। अब नव निर्मित मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा विधि विधान के साथ की जा चुकी है।माता की प्रतिमा विसर्जन का विधि-विधान भी अनूठा है। दशमी तिथि को कलह विसर्जन के बाद प्रतिमा विसर्जन में महिलाएं विदाई गीत,समदन व भजन करते हुए वातावरण को भावुक बना देती हैं।मां सरस्वती के प्रतिमा के साथ उनकी दो सखियां भी रहती हैं। महिला, बच्चे व बुजुर्ग ढोल बाजे के साथ माता सरस्वती को विदा करने जाते हैं।परंपरा अनुसार माता अपने ससुराल जाने से पूर्व अपने मायके की सभी बेटियों से विदाई लेने जाती है।पूरे वर्ष आसपास व अन्य जिले के लोग मन्नत मांगने व मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धा अर्पित करने अपने परिजनों के साथ आते हैं।सांस्कृतिक कार्यक्रम 15 फरवरी से 21 फरवरी तक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा जिसमें रास,जागरण आदि होगा।