… क्या मिटाएगा निशां उनके कोई जो हुए हैं पैदा गोबिंद की संतान बन कर
साहिबजादों की शाहीदगाथा सुनकर आंखों से आंसु छलके, मानगो गुरद्वारा में हुआ ‘शहीदी सप्ताह’ का समापन
बलजीत सिंह
शहीदी सप्ताह के दौरान कोई भी सिख किसी प्रकार का जश्न न मनाये: प्रचारक माझी
मानगो गुरुद्वारा में कोई एक ऐसा शख्स नही था जिसकी आंखे नम न हों। चार साहिबजादों की शाहीदगाथा सुनकर हर श्रोता गर्व भी महसूस कर रहा था और गमगीन भी था। गुरुद्वारा सिंह सभा मानगो में आयोजित शहीदी सप्ताह का समापन सोमवार देर शाम को हुआ।
सप्ताहभर चले इस समागम में साहिबजादों बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह, बाबा जोरावर सिंह, बाबा फतेह सिंह और माता गुजरी जी की महान शहादत याद कर उन्हें श्रद्धान्जलि दी।
इस उपलक्ष्य पर मानगो गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटि ने एक विचार गोष्ठी भी आयोजित की जिसमे छोटे साहिबज़ादों की धर्म के लिए दी गयी दर्दनाक शहादत की सच्चाई को लोगो के बीच साझा किया।
इसके बारे में विस्तारपूर्वक बताते हुए कमिटी के प्रधान भगवान सिंह ने बताया की इस कार्यक्रम 22 दिसंबर से शुरू किया गया था ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को शहादत के बारे में बताया जा सके.
इस दौरान सिख प्रचारक हरजिंदर सिंह माझी ने लगातार छह दिन शब्द विचार किया और सभी शहीदों का इतिहास बारी बारी से श्रद्धालुओं के समक्ष साझा किया। उन्होंने सभी सिखों से निवेदन किया कि शहीदी सप्ताह के दौरान हर साल सिख किसी भी प्रकार का जश्न या खुशी के कार्यक्रम न आयोजित करे बल्कि साहिबजादों के नाम पर जनसेवा करें, यही धर्म है। जब छोटे साहिबजादों की शहीदी का इतिहास संगत को सुनाया गया तो सबकी आंखे छलक आयीं। साथ ही साथ वीर साहिबज़ादों की अमरगाथा व उनकी शहीदी से जुड़े कई प्रश्नों के उत्तर भी दिये। हरजिंदर सिंह माझी ने कहा कि चार साहिबजादों की यह शहादत कभी भुलायी नही जा सकती। ठंढे बुर्ज में दो नन्हे साहिबजादों ने शहादत देदी परन्तु धर्म कभी नही छोड़ा।
हजूरी रागी खडूर साहिब वाले मनजीत सिंह ने अपने कीर्तन से संगत को मंत्रमुग्ध किया। बड़ी संख्या में संगत गुरु ग्रंथ सहिब से सामने शीश नवाया।
शहीदी सप्ताह को सफल बनाने में त्रिलोक सिंह, अमरीक सिंह, बलजीत कौर, कमिटी के सचिव जसवंत सिंह जस्सू, सुखवंत सिंह, हीरा सिंह, चंचल सिंह सहित सारे सदस्यों का भरपूर सहयोग रहा।