नई दिल्ली. नाटो अपने पूर्वी क्षेत्र में रूस, बेलारूस और यूक्रेन के समीप हजारों सैनिकों और सैन्य उपकरणों की तैनाती कर रहा है। इसका उद्देश्य मास्को को नाटो के 32 सदस्य देशों के क्षेत्र में युद्ध का विस्तार करने से रोकना है। स्विट्जरलैंड के दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच में रूट ने चेतावनी दी कि यदि यूक्रेन युद्ध हारता है, तो नाटो की प्रतिरोधक क्षमता को पुनः स्थापित करना बेहद महंगा होगा। उन्होंने कहा, “यह खर्च अरबों नहीं, बल्कि खरबों डॉलर का होगा।”
रूट ने कहा कि रूस के आक्रमण के तीन साल बाद भी पश्चिमी देशों को यूक्रेन को समर्थन देने में किसी तरह की कमी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा, “हमें युद्ध की दिशा बदलनी होगी।” रूट ने पश्चिमी देशों को आगाह किया कि “21वीं सदी में यह स्वीकार्य नहीं है कि कोई देश दूसरे पर आक्रमण करके उसे उपनिवेश बनाने की कोशिश करे।”
रूट ने कहा कि ऐसे आक्रमण के दिनों को पीछे छोड़ देना चाहिए। हालांकि, यूरोप में इस बात को लेकर चिंता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ जल्दी समझौता करके युद्ध को जल्द समाप्त करने की कोशिश कर सकते हैं। लेकिन रूट इस तरह के किसी भी जल्दबाजी के प्रति सतर्क दिखाई दिए।
रूट ने स्पष्ट किया कि यदि यूक्रेन पर रूस की जीत होती है, तो नाटो की सुरक्षा और विश्वसनीयता को बनाए रखना और अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाएगा। साथ ही, इस स्थिति से निपटने के लिए नाटो देशों को अपनी सैन्य और औद्योगिक क्षमताओं में भारी वृद्धि करनी पड़ेगी।