राष्ट्र संवाद नजरिया : भाजपा जमशेदपुर के तत्वावधान में आयोजित जिला कार्यसमिति की बैठक में हुई घटना शर्मनाक, कांग्रेस की कार्य संस्कृति की ओर बढ़ती भाजपा
जमशेदपुर
देवानंद सिंह
भाजपा जिला अध्यक्ष गुजंन यादव और भाजपा जिला युवा मोर्चा के अध्यक्ष अमित अग्रवाल के खिलाफ मंडल अध्यक्षों और कार्यकर्ताओं के बीच रोष सोमवार को उस वक्त खुलकर सामने आ गया, जब सोनारी मंडल में भाजपा कार्यसमिति की बैठक की चल रही थी। इन दोनों के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले मंडल अध्यक्षों की संख्या 14 से बढ़कर 18 हो गई है। इस विरोध के खुलकर सामने आने से न केवल बैठक में अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई, बल्कि संगठन में चल रहा विवाद भी बढ़ता हुआ नजर आया, जिससे आने वाले दिनों में और भी स्थिति खराब होने के संकेत मिलते हैं। यह स्थिति तब देखने को मिली, जब बैठक में स्वयं प्रभारी सुबोध सिंह गुड्डू और प्रदेश कार्यसमिति सदस्य गणेश मिश्रा मौजूद थे।
दरअसल, गुजंन यादव और अमित अग्रवाल के तानाशाही व मनमानीपूर्ण रवैए के खिलाफ कुछ दिनों से विरोध की आवाज उठ रही थी। इनके खिलाफ मंडल अध्यक्ष एकजुट हो रहे थे। वो इसीलिए एकजुट हो रहे थे, क्योंकि ये दोनों मंडल अध्यक्षों को कोई भी तरजीह नहीं देते हैं। लिहाजा, गत दिनों 14 मंडल अध्यक्षों ने मिलकर इन दोनों के खिलाफ प्रदेश भाजपा कार्यालय में शिकायत की थी। यह विरोध खुलकर सामने न आए, इसीलिए इस विवाद को मैनेज करने के लिए भाजपा उपाध्यक्ष बबुआ सिंह को लगाया गया। वह इस विवाद को सुलझाने के प्रयास कर रहे थे, जिसमें काफी हद तक वह सफल भी हो जाते, लेकिन सोमवार को सोनारी में हुई कार्यसमिति की बैठक में जिस तरह वहां के मंडल अध्यक्ष को नजरअंदाज किया, उससे विवाद हल होने की संभावना बिल्कुल ही शून्य हो गई। मजे की बात यह रही है कि यहां के मंडल अध्यक्ष को धन्यवाद ज्ञापन पढ़ने के लिए भी नहीं बुलाया गया, जिससे मंडल अध्यक्षों का गुस्सा फुट पड़ा और उन्होंने खुलकर गुंजन यादव और अमित अग्रवाल का विरोध करना शुरू कर दिया। प्रदेश कार्यालय में जहां 14 मंडल अध्यक्षों नेशिकायत की थी, वहीं इस बैठक में यह संख्या बढ़कर 18 हो गई। मंडल अध्यक्षों का कहना था कि वे इन दोनों की तानाााही और मनमानीपूर्ण रवैए को बर्दास्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह इनके द्बारा मंडल अध्यक्षों को तरजीह नहीं दी जाती, वह बहुत अपमानजनक है।
हालांकि, इस बैठक के दौरान प्रभारी सुबोध सिंह गुड्डू ने कहा कि भाजपा में मंडल अध्यक्ष जमीन पर जुड़कर काम करता है और पार्टी के सिद्घांतों को जन-जन तक पहुंचाता है, इसीलिए उन्हें किसी भी हाल में नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर, किसी भी मंडल में कोई भी कार्यक्रम होगा तो उसके मंडल अध्यक्ष की अनुमति लेना जरूरी होगा। पर यह देखने वाली बात होगी कि इसका गुजंन यादव और अमित अग्रवाल पर कितना असर पड़ता है। भाजपा संगठन में जो स्थितियां दिख रही हैं, उसमें नहीं लगता है कि बहुत ज्यादा परिवर्तन देखने को मिलेगा। भाजपा यहां एक तरह स्वयं को विपक्ष मानती है, लेकिन वह ईमानदारी से विपक्ष की भूमिका निभा रही है, ऐसा कहीं भी नहीं दिखता है। टाटा नगर की संस्कृति मजदूरों वाले शहर की है। रघुवर दास ने मजदूरों के मुद्दों को लेकर यहां राजनीति की, लेकिन वर्तमान में स्थिति इसके उलट लग रही है, क्योंकि जिला स्तर पर सरकार के खिलाफ मुखरता के साथ कोई भी बात नहीं रखी जा रही है, जिससे मंडल अध्यक्षों और कार्यकर्ताओं में लगातार रोष बढ़ रहा है। जहां तक गुंजन यादव का सवाल है, वह केवल मंडल अध्यक्षों को दरकिनार करने के लिए ही प्रसिद्घ नहीं हैं, बल्कि वह जिस सरकारी पृष्ठभूमि वाले परिवार से आते हैं, उन पर व्यापक जमीन की खरीद-फरोख्त करने का आरोप भी है, इसीलिए वह सरकार के खिलाफ मुखर नहीं हो पाते हैं। अगर, मुखर हो भी गए तो विधायक सरयू राय का डर उन्हें सताएगा। कुल मिलाकर, जिस तरह भाजपा के अंदर यह विवाद सामने आया है, वह भविष्य के लिए बिल्कुल भी अच्छा संकेत नहीं है और यह घटना यह दर्शाता है कि भाजपा भी कांग्रेस की कार्य संस्कृति की राह पर ही चल रही है।