आखिर क्यों हो रही है भारत को बांग्लादेश बनाने की कोशिश
देवानंद सिंह
बांग्लादेश के वर्तमान हालात पूरी दुनिया के लिए चिंताजनक बने हुए हैं, लेकिन भारत इसमें सबसे टॉप पर है, क्योंकि बांग्लादेश भारत का पड़ोसी देश होने के साथ ही इस देश को बनाने में भारत की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण रही है, अगर वह भारत को ही आंख दिखाने की कोशिश करे तो निश्चित तौर पर यह बहुत ही चिंताजनक है, लेकिन इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि भारत के अंदर कुछ सियासी पार्टियां भारत को भी बांग्लादेश बनाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में, सवाल उठता है कि आखिर भारत जैसे प्रेरणादायक लोकतंत्र को बांग्लादेश बनाने की कोशिश क्यों हो रही है ? दरअसल, बांग्लादेश के हालातों पर सियासी आग का यह मुद्दा मुख्य रूप से देश के राजनीतिक संघर्ष, सरकार की नीतियों के साथ ही नागरिक अधिकारों की स्थिति से भी जुड़ा हुआ है। अगर, यही कोशिश भारत में हो रही है तो उसका प्रभाव और गहरा होगा, क्योंकि बांग्लादेश के मुकाबले भारत कहीं अधिक जनसंख्या वाला और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है।
ऐसे में, भारत में बांग्लादेश समर्थक गुटों का उभरना एक गंभीर राजनीतिक और सामाजिक चिंता का विषय है। यह बात उल्लेखनीय है कि भारत बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में सहायक रहा है, अब बांग्लादेश के प्रति अपनी नीति और संबंधों को लेकर कुछ बांग्लादेशी समर्थक गुटों की वजह से विभिन्न दृष्टिकोणों का सामना कर रहा है। ऐसे गुटों का उभरना, जो बांग्लादेश के पक्ष में खड़े होते हैं, भारतीय समाज, राजनीति और सुरक्षा पर दीर्घकालिक प्रभाव डालेगा। इन गुटों का समर्थन अक्सर बांग्लादेशी घुसपैठ, सांप्रदायिक असंतुलन और राजनीतिक दृष्टिकोणों से जुड़ा होता है, जो देश की सांप्रदायिक और सामाजिक धारा को प्रभावित कर सकता है। बांग्लादेश समर्थक गुटों का उभरना भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर खतरा है। भारत के कई सीमावर्ती राज्य, जैसे असम, पश्चिम बंगाल और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या पहले से ही मौजूद है। बांग्लादेश समर्थक गुटों का समर्थन ऐसे तत्वों को बढ़ावा देगा, जो अवैध रूप से भारत में घुसपैठ कर रहे हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। इन गुटों की गतिविधियां इन घुसपैठियों के लिए राजनीतिक और सामाजिक संरक्षण मुहैया कर सकती हैं, जो देश के लिए एक गंभीर सुरक्षा चुनौती बन सकती है।
भारत एक बहुसांस्कृतिक और विविधतापूर्ण देश है, जहां विभिन्न धर्मों, जातियों और संस्कृतियों का संगम है। बांग्लादेश समर्थक गुटों का उभरना सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा दे सकता है। बांग्लादेश में मुसलमानों की बड़ी संख्या है और कुछ गुट भारतीय मुसलमानों को बांग्लादेश के प्रति सहानुभूति रखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, जिससे देश में सांप्रदायिक हिंसा और असहमति का माहौल उत्पन्न हो सकता है। यह भारतीय समाज की सद्भावना और एकता को खतरे में डाल सकता है। इसके अलावा, बांग्लादेश के विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक पहलुओं को अपनाने का प्रयास भारतीय पहचान और संस्कृति को भी प्रभावित करेगा। बांग्लादेश समर्थक गुटों का उभरना भारतीय राजनीति में ध्रुवीकरण को और बढ़ा सकता है। कुछ राजनीतिक दल, जो बांग्लादेशी शरणार्थियों के समर्थन में खड़े हो रहे हैं, अपने वोट बैंक को बढ़ाने के लिए इस मुद्दे को भड़काने का काम करेंगे। यह स्थिति भारत की राजनीतिक स्थिरता को कमजोर करेगी और समाज में असहमति और विरोध को जन्म देगी। यदि, यह प्रवृत्ति बढ़ती है तो देश में राजनीतिक अस्थिरता और विभाजन का खतरा बढ़ जाएगा, जो लोकतंत्र की नींव को निश्चितरूप से कमजोर करेगा।
कुछ सियासी ताकतें बांग्लादेशी घुसपैठियों के पक्ष में खड़ी हैं और यह भी एक ऐसा कारण है, जिसके चलते यह समस्या और जटिल होती जा रही है। इनमें से कुछ राजनीतिक दलों का मानना है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत में शरण देने से उनकी वोट बैंक में वृद्धि हो सकती है। ये दल समाज के कमजोर वर्गों में अपनी पैठ बनाने के लिए इस तरह की नीतियां अपनाते हैं। हालांकि, यह दृष्टिकोण देश की सुरक्षा और सांस्कृतिक पहचान के लिए एक गंभीर खतरा है। भारत में कुछ राजनीतिक दलों की यह रणनीति होती है कि वे इन घुसपैठियों को अपनी वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करें। इसको लेकर उनका तर्क यह होता है कि इन लोगों को नागरिकता देने से वे चुनावों में सफल हो सकते हैं। इस दृष्टिकोण से यह स्पष्ट होता है कि यह सियासी दल अपनी राजनीति के लिए देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और समाज की संरचना को ताक पर रख रहे हैं। यह भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए भी खतरे की घंटी है, क्योंकि यदि घुसपैठियों की संख्या बढ़ती है तो यह चुनावी नीतियों और संसदीय संरचनाओं को प्रभावित कर सकता है।
बांग्लादेश समर्थक गुटों का समर्थन और बांग्लादेशी घुसपैठियों का भारत में बढ़ता हुआ प्रभाव देश की आर्थिक और सामाजिक संरचना पर भी दबाव डालेगा।इन घुसपैठियों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ मिलता है, जिससे भारतीय नागरिकों के लिए संसाधनों की कमी हो जाती है, इससे सामाजिक असंतोष और आर्थिक असंतुलन उत्पन्न होने का खतरा बढ़ जाता है, जो लंबे समय में सामाजिक संघर्ष का कारण बनेगा। कुल मिलाकर, भारत में बांग्लादेश समर्थक गुटों का उभरना न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह सामाजिक, सांप्रदायिक और राजनीतिक असंतुलन भी पैदा करेगा। इन गुटों का प्रभाव भारतीय लोकतंत्र और समाज पर दीर्घकालिक और नकारात्मक प्रभाव डालेगा। इसलिए, यह जरूरी है कि भारत सरकार और राजनीतिक दल इस प्रकार की प्रवृत्तियों पर कड़ी नजर रखें और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, सांप्रदायिक सद्भावना, और लोकतांत्रिक मूल्य को बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाएं।