राजस्थान: गहलोत अपने अखाड़े में ऐसे हुए चित, मोदी के सिर जीत का सेहरा, वसुंधरा का क्या होगा रोल
भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली मुख्यालय के बाहर तीन दिसंबर को दिवाली और होली जैसे त्यौहार का नज़ारा दिखा.
रविवार को जिन तीन राज्यों के वोटों की गिनती हुई उनमें से तीन राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने साफ़ बढ़त हासिल कर ली. वहीं तेलंगाना में बाजी कांग्रेस के हाथ लगी. मिज़ोरम के चुनाव नतीजे चार तारीख़ को आएंगे.
200 सीट वाले राज्य राजस्थान की बात की जाए वहां बीजेपी दफ़्तर के बाहर जश्न का माहौल है साथ ही नरेंद्र मोदी और बीजेपी जिंदाबाद के नारे लग रहे हैं. राजस्थान में 199 सीटों पर वोटिंग हुई.
राज्य में जहां बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा वहीं कांग्रेस स्थानीय नेताओं के सहारे चुनाव लड़ती दिखाई दी.
राजस्थान में हर बार की तरह बदलाव का ‘रिवाज़’ दिखाई दिया और अशोक गहलोत इसे बदलने में नाकाम रहे.
अशोक गहलोत अपने विधानसभा क्षेत्र सरदारपुरा से अपनी सीट बचाने में सफल रहे लेकिन सीएम की अपनी कुर्सी बचाने से चूक गए.
वे साल 1998 से 2003 और 2008 से 2013 तक मुख्यमंत्री रहे और 2018 में तीसरी बार राजस्थान की सत्ता पर काबिज़ हुए.
रंग लाया मोदी पर बीजेपी का भरोसा
जानकार बीजेपी की जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देते हैं.
बीजेपी सभी पांच राज्यों में मुख्यमंत्री चेहरे के बिना चुनाव लड़ी और राज्य में वसुंधरा राजे के चेहरे को भी पीछे कर दिया.
वरिष्ठ पत्रकार कुंजन आचार्य कहते हैं, ”साल 2018 में बीजेपी ने वसुंधरा के चेहरे को आगे किया लेकिन इस बार मोदी ने जितनी सभाएं की उसमें यही कहा, जो कुछ भी है वह कमल हैं. सभाओं में केवल मोदी या सीपी जोशी दिखे लेकिन वो(जोशी) चुनाव नहीं लड़ रहे थे. तो लोगों का भरोसा मोदी में है और वो उन्हें करिश्माई नेता समझते हैं.”
बीजेपी की जीत पर राजन महान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रिय अपील को एक अहम कारण तो बताते ही है लेकिन एक दूसरा पक्ष रखते हैं.
वे कहते हैं, ”बीजेपी की मजबूत जीत का आधार उनका धार्मिक कार्ड और ध्रुवीकरण की राजनीति करना है. ऐसा नहीं है कि उनकी पार्टी में अंदरुनी कलह नहीं थी लेकिन वो उसे पाटकर जीत रहे हैं तो यही दिखाता है कि वो धर्म को राजनीति से जोड़ रहे हैं , हिंदूराष्ट्र का सपना दिखा रहे हैं और वो लोगों को मोदी से जोड़ता है.”
वसुंधरा राजे की क्या भूमिका होगी?
राजस्थान में चुनावी नतीजों पर वसुंधरा राजे ने पत्रकारों से संक्षेप में बात की और पार्टी की जीत का सेहरा नरेंद्र मोदी को पहनाया.
उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री का मंत्र था सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास. ये उसकी जीत है. उनकी गारंटी की जीत है.”
उनका कहना था, ”ये जीत हमारे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति की जीत है और ये जीत हमारे अध्यक्ष नड्डा के कुशल नेतृत्व और कार्यकर्ताओं के अथक प्रयास की जीत है.”
इतना कहने के बाद वसुंधरा राजे ने पत्रकारों से ऑफ़ द कैमरा बात करने का निवेदन किया.
पिछले पांच साल से वसुंधरा राजे हाशिए पर दिखाई देती हैं. वे साल 2003 से झालरापटन से विधायक हैं और दो बार राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं.