मीडिया के माध्यम से खबर मिली है कि झारखंड सरकार ने छह साल पुराने राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में नयी धाराएं जोड़ कर मुझे भी इसमें शामिल करने का प्रयास कर रही है। अगर ऐसा है तो इस निर्णय का मैं स्वागत करता हूं। पिछले लगभग चार साल से मामले की जाँच चल रही है लेकिन मामले में कुछ नहीं मिल पाया, तो मामले को जीवित रखने के लिए सरकार के इशारे पर कुछ काबिल अधिकारियों ने इसमें नयी धाराएं जोड़ने का प्रयास शुरू किया हैं। झारखंड में पहली बार विद्वेष और बदले की राजनीति की शुरुआत हो रही है। लेकिन किसी को यह भूलना नहीं चाहिए कि यहां कुछ भी शाश्वत नहीं है। दरअसल यह 2024 की तैयारी है। मुख्यमंत्री जी चुनाव तक यह मामला खींचना चाहते हैं। जो अधिकारी यह सोच रहे हैं कि अभी गंदगी फैला लेंगे और 2024 तक रिटारमेंट के बाद आराम की जिंदगी बसर करेंगे, तो यह उनकी भूल है। सभी की जिम्मेदारी तय की जायेगी। गलत करके बचने की उम्मीद छोड़ दें। मेरा सरकार व उनके काबिल अधिकारियों से यह आग्रह है कि कानून की किताब से और जितनी तरह की धाराएं इस मामले में जोड़ी जा सकती हैं, उसे जोड़ कर लगा लें, मैं डरनेवाले लोगों में नहीं हूं। मेरा जीवन खुली किताब है, जो चाहे इसे पढ़ सकता है।
-रघुवर दास, पूर्व मुख्यमंत्री, झारखंड।