त्वरित टिप्पणी:सत्ता पक्ष व विपक्ष संसद की गरिमा का ख्याल रखे
2024 में जनता ने घोड़े के पैर में जंजीर भी बांध दी है सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों इस बात को समझे
आप बस क़िरदार हैं अपनी हदें पहचानिए वरना एक दिन फिर कहानी से निकाले जाएंगे
देवानंद सिंह
लोकसभा सत्र के छठे दिन सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण को लेकर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी आमने-सामने आ गए। राहुल गांधी ने अपने भाषण की शुरुआत संविधान से की और मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए वो ‘हिंदुत्व’ पर पहुंच गए। इस बीच राहुल ने सदन में शिव, हिंदू और हिंदुत्व को लेकर ऐसा बयान दिया, जिसे हंगामा खड़ा हो गया। यहां तक कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें जवाब देने के लिए खड़े हो गए, जबकि गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी से माफी मांगने की मांग कर दी, इसके बाद सदन में हंगामा होता रहा। राहुल ने पंजाब से लेकर अग्निवीर के मामले में भी सरकार को घेरा। इसके बाद जिस तरह की स्थिति सदन में रही, उससे जाहिर होता है कि आने वाले दिनों में भी सदन में हंगामा देखने को मिल सकता है, जो बिल्कुल भी उचित नहीं होगा। सदन की एक गरीमा होती है, जिसका पालन विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष को भी करना चाहिए।
पहले संविधान और आपातकाल को लेकर बहस होती रही और अब नए मुद्दों को लेकर बहस होना यह दर्शाता है कि सदन में विपक्ष से लेकर सत्ता पक्ष केवल अपनी ईगो लेकर बैठा है। देश की जनता ने सांसदों को अपनी समस्याओं के हल के लिए संसद भेजा है, लेकिन जिस तरह सांसद अपने स्वार्थपूर्ण मुद्दों पर बहस कर समय जाया कर रहे हैं, वह बिल्कुल भी सही नहीं है। हर दिन संसद की कार्यवाही के दौरान करोड़ों रुपए खर्च होते है। ऐसे में, सवाल उठता है कि क्या सांसदों को इस तरह जनता में पैसे बेफिजूल उड़ाने चाहिए या फिर सार्थक मुद्दों पर बहस करनी चाहिए ?
सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को हिंदुओं के ठेकेदारी प्रथा बंद कर जनता ने जिन आकांक्षाओं के साथ उन्हें संसद भेजा है उसे पर ईमानदारी से काम करना चाहिए ना तो पूरा हिंदुस्तान मोदी आरएसएस और बीजेपी का है और ना ही कांग्रेस का.संसद की गरिमा का ध्यान न केवल विपक्ष को रखना चाहिए बल्कि सत्ता पक्ष को भी इसका ध्यान देना चाहिए।