बड़े मंच की अध्यक्षता करना एक नए, शुभ एवं श्रेयस्कर भारत का संकेत
देवानंद सिंह
भारत को इंडोनेशिया से जी-20 की अध्यक्षता ऐसे समय पर मिली है, जब एक ओर दुनिया को रूस और यूक्रेन युद्ध के दुष्परिणामों की चिंता सता रही है, वहीं दूसरी ओर व्यापक आर्थिक मंदी की संभावनाओं से वैश्विक बाजार में अस्थिरता का माहौल बना हुआ है। इसके अलावा कोविड-19 महामारी जैसा बड़ा स्वास्थ्य संकट अभी भी टला नहीं है। ऐसे में भारत के समक्ष बड़ी चुनौतियों से पार पाने के साथ ही विकास एवं शांति कायम रखते हुए दुनिया को नया रास्ता दिखाने की जिम्मेदारी है।
भारत दुनिया की एक सशक्त आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है। दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके भारत का पिछले कुछ वर्षों के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रुतबा बढ़ा है। 2027 तक इसके जर्मनी और 2029 तक जापान से आगे निकल जाने का अनुमान है, जबकि 2029 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसमें हमारी कूटनीति और विदेश नीति का अहम योगदान रहा है। इसे इस बात से भी समझा जा सकता है कि भारत आज उस स्थिति में है कि वह विश्व की दो सबसे बड़ी धुर-विरोधी ताकतों अमेरिका तथा रूस से समान रूप से जुड़ा हुआ है। भारत में दुनिया के विकास का इंजन बनने की ताकत है। भारत न केवल विकसित देशों के साथ घनिष्ठ रिश्ते रखता है, बल्कि विकासशील देशों के दृष्टिकोण को भी अच्छी तरह से समझता है।
अब जी-20 की अध्यक्षता भारत के लिए एक बड़ा मौका है, जब वह अन्य देशों के लिए न केवल आर्थिक एवं राजनीतिक अस्थिरता से बाहर निकलने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है, बल्कि अपने आपको एक बार फिर विश्व गुरु के तौर पर स्थापित कर सकता है। भारत के समक्ष एक सुनहरा मौका है कि वह विश्व मंच पर दिखाए कि नए भारत का उदय हो चुका है और अब वह दुनिया की तरफ नहीं, बल्कि दुनिया उसकी तरफ देख रही है।
भारत में जी-20 में शामिल विश्व के सबसे शक्तिशाली देशों के साथ ही अन्य देशों के सामने खड़ी परेशानियों का हल निकालने की क्षमता है, जो कि हाल ही में कई महत्वपूर्ण घटनाओं से प्रमाणित भी हो चुका है। रूस-यूक्रेन युद्ध मसले पर भारत किसी भी खेमे में शामिल नहीं हुआ बल्कि उसने अमेरिका के दबाव में आए बिना रूस से सस्ता तेल खरीदा। वहीं दूसरी ओर अमेरिका और उसके सहयोगी देश रूस पर प्रतिबंधों का खामियाजा भुगत रहे हैं। यह भारत का आत्मविश्वास और दृढ़ता ही है, जहां से दुनिया को अपनी सोच बदलने एवं विश्व को एक परिवार के रूप में आगे बढ़ाने की सोच को बल मिल रहा है।
लगभग 1.4 अरब की बड़ी आबादी वाले विकासशील देश ने जिस तरह से कोविड-19 महामारी का मुकाबला किया, वह काबिले-तारीफ है। भारत ने न केवल अपने नागरिकों का महामारी से बचाव किया बल्कि उसने अन्य गरीब देशों को भी इससे उबरने के लिए वैक्सीन और अन्य सामग्री भेजकर उनकी मदद की, जिससे विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसकी सराहना हुई है।
इसके अलावा 2020-21 के दौरान कोविड संकट के समय भी भारत की आर्थिक स्थिरता ने दुनिया को अचंभित किया है। महामारी जब अपने चरम पर थी तो दुनिया के सभी विकसित देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी, जिससे अधिकतर देश अभी भी उबर नहीं पाए हैं। वहीं दूसरी ओर बड़ी आबादी के साथ ही सीमित संसाधनों वाले भारत ने न केवल महामारी के चरम पर होते हुए संतोषजनक प्रदर्शन किया, बल्कि जल्द ही उसकी विकास दर ने फिर से रफ्तार पकड़ ली।
रूस से युद्ध का बिगुल बजने पर यूक्रेन में अचानक पैदा हुए संकट के बीच भारत ने जिस चुस्त अंदाज में अपने नागरिकों को निकालने की पहल की, उसकी भी कई मंचों पर सराहना हुई है। अब दोनों देशों के बीच युद्ध समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है और इसके समाधान के लिए भी दुनिया भारत की ओर देख रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार रूस और यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्षों से शांति की अपील कर चुके हैं तथा यह भी प्रस्ताव दे चुके हैं कि भारत इस संकट के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है। कई देशों ने भारत के रुख का समर्थन किया है। इसके साथ ही कई यूरोपीय देश भी समाधान के लिए भारतीय प्रधानमंत्री पर भरोसा जता चुके हैं और कह चुके हैं कि भारत इसके लिए पहल करे।
ऐसे में अब दुनिया की नजरें भारत पर होगी कि वह जी-20 के मंच पर इस संकट को लेकर किस प्रकार अपनी भूमिका निभाता है। भारत एक दिसंबर से इंडोनेशिया से जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा। जी-20 यानी 20 देशों का समूह दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर सरकारी मंच है। इसमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं। जी-20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 85 फीसदी, वैश्विक व्यापार का 75 फीसदी और विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। शक्तिशाली देशों के समूह की अध्यक्षता करना निश्चित ही भारत के लिए एक नए सूरज के अभ्युदय का संकेत है। पीएम मोदी ने भारत की अध्यक्षता के लोगो, थीम और वेबसाइट का अनावरण करते हुए दुनिया को शांति के मार्ग पर अग्रसर करने के अपने संकल्प को दोहराया है। समूची दुनिया के सुखमय होने का मार्ग दिखाते हुए भारत स्वयं भी उस मार्ग पर अग्रसर होगा, इसके लिए पीएम मोदी का नेतृत्व निश्चित ही कई नई दिशाओं का मार्ग खोलेगा।
राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों के स्तर पर जी-20 देशों के नेताओं का शिखर सम्मेलन नई दिल्ली में 9-10 सितंबर, 2023 को आयोजित होगा। इस दौरान देशभर में 200 से अधिक बैठकें होंगी, जिसकी शुरुआत इसी साल दिसंबर से हो जाएगी। पीएम मोदी ने आजादी के अमृत काल में इसे भारत के लिए एक ऐतिहासिक अवसर बताया है। भारत के जी-20 शेरपा अमिताभ कांत ने कहा है कि जी-20 की अध्यक्षता चुनौतियों के समय में दुनिया को राहत प्रदान करने के लिए एक बेहतर अवसर है।
मौजूदा समय में भारत एक ऐसी स्थिति में है, जहां से वह जी-20 समूह को बेहतर नेतृत्व प्रदान कर सकता है, जिससे कोविड-19 महामारी के चलते भू-रणनीतिक उठापटक के बीच वैश्विक व्यवस्था के क्षेत्र में स्थिरता और संतुलन की वापसी हो सके। हाल ही में कई मौकों पर यह स्पष्ट हो चुका है कि जी-20 सदस्य देशों ने भारत की महत्वाकांक्षी बहुआयामी रणनीति और महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने की क्षमता को स्वीकार किया है।
ऐसे समय में, जब भारत जी-20 की अध्यक्षता हासिल कर रहा है, कोविड-19 महामारी के बाद ग्लोबल रिकवरी प्रक्रिया और रूस-यूक्रेन युद्ध के परिप्रेक्ष्य में देश बड़ी अहम भूमिका निभाने जा रहा है। इसके अलावा चीन के गैर जिम्मेदाराना बर्ताव की वजह से अधिकतर जी-20 सदस्य देश असंतुष्ट हैं। लिहाजा जिम्मेदार वैश्विक शक्ति के रूप में दुनिया भारत की तरफ देख रही है। इतना ही नहीं दुनिया को नई दिशा दिखाने के मामले में भारत का मजबूत लोकतंत्र भी एक विश्वास पैदा करता है।
इस कड़ी में एक मजबूत वैश्विक नेता के तौर पर स्थापित हो चुके भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि भी बड़ा अहम रोल निभाने वाली है। आज के समय में पीएम मोदी द्वारा रखी गई बात की एक अपनी साख और प्रमाणिकता है, जिसे दुनिया भर के देश प्राथमिकता दे रहे हैं। ऐसे में सैकड़ों-हजारों साल पहले भारत के पास जो विश्व गुरु का तमगा होता था, वह 21वीं सदी में एक बार फिर उसके पाले में आ चुका है। पीएम मोदी के नेतृत्व में देश ने नया एवं स्वर्णिम इतिहास गढ़ते हुए स्वयं को सशक्त एवं ताकतवर बनाया है। भारत ने अपनी साफ-सुथरी शासन-व्यवस्था से दुनिया को प्रभावित किया है और आर्थिक विकास को गति दी है। यही कारण है कि अब भारत में दुनिया के कई देश बेझिझक कारोबार के अवसर तलाश रहे हैं। भारत नेट जीरो के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए हरित ऊर्जा की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत उन देशों में शुमार है, जो तेज गति से इलेक्ट्रिक वाहनों को अपना रहे हैं और इस दिशा में निवेश कर रहे हैं। डिजिटल बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य एवं कृषि से जुड़े विषयों में भारत ने अनूठी उपलब्धियां हासिल की है। भारत ने हाल के वर्षों में विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी बेहतर कार्यप्रणाली और आउटकम के जरिए साबित किया है कि उसमें वह सामर्थ्य है कि वह दुनिया के सामने खड़ी तमाम चुनौतियों से निपटने का रास्ता दिखा सके।
इतने बड़े मंच की अध्यक्षता भारत को करने का अवसर मिलता निश्चित ही एक नए, शुभ एवं श्रेयस्कर भारत का संकेत है। वर्तमान में पूरी दुनिया भारत के महत्व को समझती है और बड़े एवं ताकतवर देश भी जानते हैं कि भारत जो कहता है वह करता है। भारत के प्रति दुनिया में लगातार बढ़ रहा विश्वास उसके प्रभावी नेतृत्व, दूरदर्शिता, नीतिपरकता, स्पष्टता और पारदर्शिता का परिणाम है।