संस्थापक जे.एन.टाटा की जयंती पर कदमा-सोनारी लिंक रोड वाॅकिंग ग्रुप के सदस्यों ने काटा केक, दी श्रदांजलि,संस्थापक को किया याद
3 मार्च 1839 देश के इतिहास का एक महत्वपूर्ण दिन है जब ‘टाटा स्टील’ और ‘जमशेदपुर’ शहर के संस्थापक जमशेदजी नसरवानजी टाटा का जन्म हुआ था.न सिर्फ टाटा स्टील वर्क्स परिसर और टाटा के अन्य संस्थानों में बल्कि पूरे जमशेदपुर में धूमधाम से आज के दिन ‘टाटा बाबा’ की जयंती मनाई जाती है.अपने संस्थापक को प्यार से जमशेदपुर के लोग टाटा बाबा ही बुलाते हैं.सोमवार को कदमा-सोनारी लिंक रोड में अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू के नेतृत्व में लिंक रोड वाॅकिंग ग्रुप के सदस्यों ने केक काटकर 186वां संस्थापक दिवस मनाया और संस्थापक जे.एन.टाटा के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी.इस मौके पर काफी संख्या में माॅर्निंक वाॅकर्स जुटे और संस्थापक के प्रति आभार जताया.
इस मौके पर अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने कहा कि यह शहर टाटा की बहुत बड़ी देन है.कदमा-सोनारी लिंक रोड वाॅकिंग एरिया और ओपन जिम जिस प्रकार आधुनिक तरीके से बनाकर उसका बेहतर रखरखाव किया जा रहा है, वह प्रशंसनीय है.सिर्फ महिलाओं और अन्य लोगों के लिए एक प्रसाधन(टॉयलेट) की कमी है, जिसे पूरा कर दे कंपनी तो लोगों को सहूलियत होगी.साथ ही सुधीर कुमार पप्पू ने टीएमएच की स्वास्थ्य सुविधा को और बेहतर करने और रोजगार के क्षेत्र में कंपनी को बढ़िया पहल करने का निवेदन किया.
इस मौके पर अन्नी अमृता, मंटू सिंह, अनिल गुप्ता, संजय प्रसाद, ललन सिंह, विजय कुमार, अरुण जॉन, प्रदीप लाल, संतोष प्रसाद, संजय रजक, अनिल सिंह, डी बॉस अशोक सिंह, हरिदास, सर्विस प्रसाद, अजय कुमार, पुदान चौधरी,सर्वेश,राहुल, सुमित ठाकुर,कवि बेहरा और मॉर्निंग वॉकर्स ग्रुप के अन्य सदस्य मौजूद थे.
जमशेदजी टाटा के सपनों का शहर है जमशेदपुर, उनके बेटे ने किया था सपना साकार
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टाटा स्टील और जमशेदपुर के संस्थापक जमशेदजी नसरवानजी टाटा खुद टाटा स्टील और अपने सपनों का शहर जमशेदपुर देखने के लिए जीवित नहीं बचे.1904में ही उनका देहांत हो गया.सर दोराबजी टाटा ने ठीक जमशेदजी के सपनों के मुताबिक 1907में टाटा स्टील की स्थापना की और उसके बाद जमशेदपुर शहर बसाया.जैसा जमशेदजी टाटा ने बताया था, वैसा ही हरा भरा सुनियोजित शहर बसाया गया.हर साल शहरवासी और टाटा स्टील कंपनी जमशेदजी टाटा की जयंती 3मार्च को संस्थापक दिवस के तौर पर मनाती है.
गुजरात में हुआ था जन्म, स्वामी विवेकानंद की सलाह के बाद ‘टाटा स्टील’ की पड़ी थी नींव
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एक वाक्या काफी प्रचलित है कि
1893 में जब स्वामी विवेकानंद ‘वर्ल्ड रिलीजन कांफ्रेंस’ में भाग लेने शिकागो जा रहे थे, तब जहाज पर उनकी मुलाकात जमशेदजी नसरवानजी टाटा से हुई जो उस वक्त देश में स्टील इंडस्ट्री लाना चाहते थे.इस मुलाकात में स्वामी जी ने टाटा को उद्योग और शिक्षा को लेकर अहम सुझाव दिए.इसके बाद ही टाटा स्टील की नींव पड़ी.जमशेदजी टाटा को भू गर्भ शास्त्री पी एन बोस ने पत्र लिखा, जिसमें मयूरभंज में लौह अयस्क के प्रचुर मात्रा की जानकारी दी.इसके बाद टाटा स्टील की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हो गया.हालांकि स्वयं जमशेदजी टाटा जीवित नहीं बचे,लेकिन उनके पुत्र सर दोराबजी टाटा ने 1907में साकची नामक स्थान पर टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (वर्तमान टाटा स्टील) की स्थापना की और अगले कुछ सालों के भीतर टाटा के सपनों के शहर जमशेदपुर को बसाया.रोजी रोटी के सिलसिले में देश भर से लोग यहां आकर बसे और यह मिनी इंडिया कहलाने लगा.इस प्रकार गुजरात में जन्मे जमशेदजी टाटा ने हजार किलोमीटर से भी दूर जमशेदपुर में भारत के पहले स्टील प्लांट की नींव रखी.