नीतीश सरकार को बड़ी राहत
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की बिहार में जातीय जनगणना के खिलाफ दायर याचिकाएं

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बिहार में जाति आधारित गणना कराने के बिहार सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दायर तीन याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने इन याचिकाओं को सुना। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई कि याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट के बदले सीधे उच्चतम न्यायालय में ही अपनी याचिका दायर कर दी। अदालच ने इस दौरान ये भी कहा कि ये पब्लिसिटी के लिए दायर की गई याचिकाएं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाएं खारिज करते हुए पीटीशनर को हाईकोर्ट जाने को कहा।

नीतीश सरकार को बड़ी राहत
उच्चतम न्यायालय ने बिहार में जाति आधारित गणना कराने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई से शुक्रवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि याचिकाओं में कोई दम नहीं है, लिहाजा इन्हें खारिज किया जाता है। पीठ ने छूट दी कि याचिकाकर्ता संबंधित उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं। पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील से कहा, ‘तो यह लोकप्रियता हासिल करने के इरादे से दाखिल याचिका है। हम कैसे यह निर्देश जारी कर सकते हैं कि किस जाति को कितना आरक्षण दिया जाना चाहिए। माफ कीजिए, हम ऐसे निर्देश जारी नहीं कर सकते और इन याचिकाओं पर सुनवाई नहीं कर सकते।’

याचिकाकर्ता को पटना हाईकोर्ट जाने की सलाह
उच्चतम न्यायालय इस मुद्दे पर तीन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिनमें से एक याचिका एक गैर-सरकारी संगठन ने दाखिल की थी। न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता पटना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं। गौरतलब है कि एक याचिकाकर्ता ने मामले को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने का अनुरोध किया था, जिस पर 11 जनवरी को शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह इस मामले पर सुनवाई 20 जनवरी को करेगी।