बिजली विभाग के जेई रफीक आलम लापरवाह:स्पीकर रवींद्रनाथ महतो के अथक प्रयास से सौ करोड़ रुपए की लागत से पावर ग्रिड बनने के बाद भी समस्या
निजाम खान। राष्ट्र संवाद
जामताड़ा: आज गुरुवार को जामताड़ा जिला के कुंडहित प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत कुंडहित फीडर में कई बार बिजली गुल रही। एक तरह से कह सकते हैं बिजली आती और जाती रही।इससे आम जनों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। उल्लेखनीय है कि राज्य के मुखिया हेमंत सोरेन की सरकार और नाला के स्थानीय विधायक सह झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो के अथक प्रयास से लगभग 100 करोड़ रुपए के लागत थे इसी प्रखंड क्षेत्र में पावर ग्रिड का भी निर्माण किया गया है जो कि भेलुवा पंचायत के सामने स्थित है ।इसके बावजूद भी अगर इस प्रखंड क्षेत्र के लोगों को इस तरह की बिजली की समस्याओं से जूझना पड़े तो ऐसे में कहीं ना कहीं बिजली विभाग की जो प्रखंड लेवल के पदाधिकारी होते हैं उनके कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ी होती है और इसका उदाहरण भी कहीं ना कहीं बिजली विभाग के कनीय अभियंता रफीक आलम के द्वारा भी देखा गया है। जेई रफीक आलम के बारे में सूत्र के द्वारा बताया जाता है कि वह खुदगर्ज टाइप के इंसान है लोगों का फोन भी रिसीव नहीं करते हैं जब मन होता है उनका तब वह फोन रिसीव करते हैं ।इसी को बाकायदा राष्ट्र संवाद के पत्रकार निजाम खान भी टटोलकर देख लिया है ।बीते दिन रफीक आलम को कई बार फोन लगाया गया उसके द्वारा रिसीव नहीं किया गया बल्कि यह तर्क दिया गया कि रेड करने के दौरान विभाग के वरीय पदाधिकारी का आदेश होता है मोबाइल साइलेंट अवस्था में रखने का। उल्लेखनीय है कि अगर संबंधित विभाग के वरीय पदाधिकारी का अगर ऐसा आदेश होता भी है तो रेड करने के पश्चात कहीं ना कहीं कॉल बैक करना तो जरूरी बनता है वहीं दूसरी बात एक पत्रकार को कैसे जानकारी रहेगा कि वह रेड में है या पार्क में है? इसके अलावा बिजली विभाग से संबंधित समस्याओं का निदान या फिर इस बात की प्रतिक्रिया लेने के लिए कहीं ना कहीं पत्रकार कनीय अभियंता को ही फोन करेगा।अब रफीक आलम ही जानते हैं यह कौन सा कानून है और क्या ऐसे पदाधिकारी अपने रवैया के वजह से सरकार को बदनाम करने की साजिश करते हैं? ऐसे में विभाग के वरीय पदाधिकारी को ऐसे लापरवाही कनीय अभियंता पर लगाम लगाने की आवश्यकता है।