चाकुलिया प्रखंड में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामला सुनियोजित साजिश का हिस्सा:बाबूलाल मरांडी
*मरांडी बोले शराब घोटाले में सीबीआई जांच की आंच झारखंड के मुख्यमंत्री तक ना पहुंचे इसलिए एसीबी को किया गया आगे*
राष्ट्र संवाद संवाददाता
जमशेदपुर। पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया प्रखंड में फ़र्ज़ी तरीके से जन्म प्रमाण पत्र बनाना अपने आप में अत्यंत चिंताजनक विषय है। हम सभी लोग शहरों की जनसंख्या वृद्धि को समझ सकते हैं जहाँ अस्पताल और रोजगार के अवसर होते हैं, वहाँ लोग आकर बसते हैं और उसी आधार पर जन्म प्रमाण पत्र बनते हैं। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिससे किसी को आपत्ति नहीं होती है। लेकिन यदि चकुलिया जैसे ग्रामीण और अपेक्षाकृत पिछड़े क्षेत्र में अचानक बड़ी संख्या में जन्म प्रमाण पत्र बन रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि इसके पीछे कोई बड़ा सुनियोजित प्रयास है। यह प्रशासनिक चूक से कहीं अधिक राजनीतिक या रणनीतिक योजना का संकेत देता है। इसके साथ ही, चाकुलिया का बालीजुड़ी पंचायत जो आदिवासी बहुल क्षेत्र है। जहां संथाल और मुंडा समुदाय का वर्चस्व है, वहां मुस्लिम समुदाय की महिला को मैया सम्मान योजना की राशि दी गई, जबकि इस पंचायत में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है। उपरोक्त बातें झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने गुरुवार को जमशेदपुर परिसदन में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कही। इस दौरान भाजपा प्रदेश मंत्री नंदजी प्रसाद, भाजपा जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष सुधांशु ओझा एवं जिला मीडिया प्रभारी प्रेम झा मौजूद रहे।
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने बताया कि ऐसे मामलों में मनरेगा और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ भी वही लोग उठा रहे हैं जो वास्तव में उस गाँव या पंचायत के निवासी नहीं हैं, बल्कि फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के माध्यम से योजना का लाभ ले रहे हैं। इससे साफ़ झलकता है कि यह अपने आप में एक गंभीर विषय है, जिसे प्रशासन को गंभीरता से लेना चाहिए।
उन्होंने भारत की जनगणना के आँकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 1951 में आदिवासी आबादी 35.38%, दलित आबादी 8.41%, ईसाई आबादी 4.12%, मुस्लिम आबादी 8.9% और सनातनी (हिंदू सहित) आबादी 87.79% थी; 1991 में आदिवासियों की आबादी घटकर 26.36%, दलितों की आबादी अन्य जातियों के साथ बढ़कर 11.84%, ईसाई आबादी 4.6%, मुस्लिम आबादी 13.85% और सनातनी आबादी घटकर 82.9% रह गई; और 2011 की जनगणना में आदिवासी आबादी और घटकर 26.20%, दलित आबादी 12.80%, ईसाई आबादी 4.30%, मुस्लिम आबादी 14.53% और सनातनी (हिंदू सहित) आबादी 81.17% पर सिमट गई है।यह बदलाव प्राकृतिक नहीं बल्कि एक योजनाबद्ध प्रयास है
श्री मरांडी ने कहा कि पहलगाम घटना के बाद भारत सरकार ने सभी राज्यों को पत्र भेजकर निर्देशित किया कि वे प्रत्येक ज़िले में एक समिति गठित करें, जो बांग्लादेशी और रोहिंग्या जैसे अवैध घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर करने की प्रक्रिया सुनिश्चित करे। लेकिन दुर्भाग्यवश, झारखंड सरकार इस दिशा में अब तक कोई ठोस कदम उठाती नहीं दिख रही है, जो गंभीर चिंता का विषय है।
*आईएएस विनय चौबे की गिरफ़्तारी भी इसी व्यापक भ्रष्टाचार का हिस्सा है*
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राज्य में हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने के बाद भ्रष्टाचार में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। बिना प्रशासनिक मिलीभगत के इस प्रकार की लूट संभव नहीं है। आईएएस विनय चौबे की गिरफ़्तारी भी इसी व्यापक भ्रष्टाचार का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत 2022 में हुई जब शराब दुकानों के ठेकों को लेकर मनमाफिक कंपनियों को अनुचित लाभ दिया गया। 19 अप्रैल 2022 को मैंने स्वयं राज्य के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी कि घोटाले की संभावना है। लेकिन उस चेतावनी को नजरअंदाज कर सरकार ने अपने मनमाफिक चार कंपनियों को ठेके दिए। फिर 2024 में शराब घोटाले की गूंज छत्तीसगढ़ में सुनाई दी, और 27 सितंबर 2024 को वहाँ प्रेस में खुलासे के बाद एसीबी ने झारखंड में अक्टूबर में एफआईआर दर्ज की। छत्तीसगढ़ सरकार ने सीबीआई को जाँच सौंपी, जिससे स्पष्ट है कि जाँच की कड़ी झारखंड तक जाएगी और झारखंड के मुख्यमंत्री की संलिप्तता भी उजागर होगी। इसी डर से सीबीआई की जाँच से पहले ही एसीबी के माध्यम से विनय चौबे को गिरफ़्तार करा दिया गया।
श्री मरांडी ने कहा कि एसीबी के डीजी फिलहाल वही अधिकारी हैं जिनका डीजीपी कार्यकाल 30 अप्रैल को समाप्त हो चुका है, और अब झारखंड में न तो स्थायी डीजीपी हैं, न ही वैध एसीबी के डीजी। यह स्थिति स्वयं में गंभीर और असंवैधानिक है। तीन वर्षों तक कोई कार्रवाई न करने के बाद अब अचानक की गई गिरफ़्तारी केवल जाँच से बचाव का तरीका प्रतीत होता है। कहा कि ईडी की जाँच में दो सीओ गवाह बने थे, तो झारखंड सरकार ने उनके घर छापेमारी कर डराने का प्रयास किया, ताकि गवाहों को चुप कराया जा सके। यह सब भ्रष्टाचार को छिपाने और सीबीआई की जाँच से बचने के प्रयास हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम की बदहाली पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि इन मामलों में उच्च स्तरीय न्यायिक समिति का गठन कर पूरे मामले की गहराई से जाँच कर दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए और राष्ट्रहित में अविलंब निर्णय लिया जाए।