दुमका जिले में धर्मगुरूओं ने संभाली बाल विवाह रोकथाम की कमान
दुमका, रानीश्वर
ग्राम ज्योति एवं जिला बाल संरक्षण इकाई दुमका के सभागार में धर्मगुरू, स्टेकहोल्डर एवं मिडिया बंधु के साथ बैठक की गई और अक्षय तृतिया में जागरूकता हेतु अगामी रणनीति तैयार की गई। ग्राम ज्योति के निदेशक आभा जी ने कहा कि इस बैठक में सभी धर्माें के धर्मगुरू उपस्थित हैं साथ ही जिले के बाल कल्याण समिति के प्रभारी एवं सदस्य, किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य, चाईल्ड हेल्प लाईन के सदस्य एवं अन्य संगठन के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। सभी ने अपने क्षेत्र में जागरूकता की रणनीति बताये कि इस बार अक्षय तृतीया को सभी मंदिर, मस्जिद, चर्च में दिवाल लेखन, पोस्टर शपथ एवं हस्ताक्षर अभियान इत्यादि से जागरूकता की जाएगी और सभी ने शपथ लिया कि एक भी बाल विवाह नहीं होगा।
बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश में सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) के दुमका जिले में सहयोगी संगठन ग्राम ज्योति की ओर से अक्षय तृतीया और शादी-ब्याह के मौसम को देखते हुए बाल विवाहों की रोकथाम के लिए विभिन्न धर्मों के विवाह संपन्न कराने वाले पुरोहितों के बीच चलाए जा रहे जागरूकता अभियान को व्यापक सफलता मिली और सभी धर्मगुरुओं ने इसकी सराहना करते हुए समर्थन का हाथ बढ़ाया है। संगठन ने कहा कि यह देखते हुए कि कोई भी बाल विवाह किसी पंडित] मौलवी या पादरी जैसे पुरोहित के बिना संपन्न नहीं हो सकता] हमने उन्हें बाल विवाह के खिलाफ अभियान से जोड़ने का फैसला किया। इसके सकारात्मक नतीजों को देखते हुए हम उम्मीद कर सकते हैं इस अक्षय तृतीया पर जिले में एक भी बाल विवाह नहीं होने दिया जाएगा। आज जिले में तमाम मंदिरों-मस्जिदों के आगे ऐसे बोर्ड लगे हुए जिन पर स्पष्ट लिखा है कि यहां बाल विवाह की अनुमति नहीं है। गौरतलब है कि जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) 2030 तक देश से बाल विवाह खत्म करने के मकसद से ‘‘चाइल्ड मैरिज फ्री भारत‘‘ कैम्पेन चला रहा है।
ग्राम ज्योति के निदेशक आभा जी ने कहा कि अभी भी देश में बाल विवाह के खिलाफ जरूरी जागरूकता की कमी है। ज्यादातर लोगों को यह पता नहीं है कि यह बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए) 2006 के तहत दंडनीय अपराध है। इसमें किसी भी रूप में शामिल होने या सेवाएं देने पर दो साल की सजा व जुर्माना या दोनों हो सकता है। इसमें बाराती और लड़की के पक्ष के लोगों के अलावा कैटरर, साज-सज्जा करने वाले डेकोरेटर, हलवाई, माली, बैंड बाजा वाले, मैरेज हाल के मालिक और यहां तक कि विवाह संपन्न कराने वाले पंडित और मौलवी को भी अपराध में संलिप्त माना जाएगा और उन्हें सजा व जुर्माना हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसीलिए हमने धर्मगुरुओं और पुरोहित वर्ग के बीच जागरूकता अभियान चलाने का फैसला किया क्योंकि यह वो सबसे महत्वपूर्ण वर्ग है जो विवाह संपन्न कराते है। बेहद खुशी का विषय है कि आज पंडित और मौलवी इस बात को समझते हुए न सिर्फ इस अभियान को समर्थन दे रहे हैं, बल्कि खुद आगे बढ़कर बाल विवाह नहीं होने देने की शपथ ले रहे हैं। यदि पुरोहित वर्ग बाल विवाह संपन्न कराने से इनकार कर दे तो देश से रातोंरात इस अपराध का सफाया हो सकता है। इस अभियान में उनके आशातीत सहयोग व समर्थन से हम अभिभूत हैं। इसको देखते हुए हमारा मानना है कि जल्द ही हम बाल विवाह मुक्त दुमका के लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।