वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन के विरोध में जामताड़ा में उठेगा जन आक्रोश का स्वर
मुस्लिम मंच करेगा 8 अप्रैल को ऐतिहासिक रैली और जनसभा।
राष्ट्र संवाद संवाददाता जामताड़ा
जामताड़ा: केंद्र सरकार द्वारा वक्फ बोर्ड अधिनियम में किए गए संशोधन के खिलाफ देशभर में विरोध के स्वर गूंज रहे हैं और इसी क्रम में झारखंड के जामताड़ा जिले में भी विरोध तेज हो गया है।मुस्लिम मंच की ओर से 8 अप्रैल को एक विशाल जन आक्रोश रैली एवं जनसभा का आयोजन किया जाएगा, जिसकी शुरुआत जिले के ऐतिहासिक गांधी मैदान से होगी। यह रैली मुख्य बाजार मार्ग होते हुए अनुमंडल कार्यालय तक जाएगी, जहाँ पर एक जनसभा आयोजित कर मंच के प्रतिनिधि महामहिम राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन उपायुक्त को सौंपेंगे। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए गांधी मैदान में मुस्लिम मंच की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें मंच के प्रमुख सदस्यों इरशाद उल हक अर्शी, हाफिज नाजीर हुसैन, अलीमुद्दीन अंसारी, तनवीर आलम सहित कई अन्य समाजसेवी और बुद्धिजीवी शामिल हुए। बैठक में रैली की रूपरेखा तैयार की गई और तय किया गया कि यह रैली पूरी तरह से शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से अपने विरोध को दर्ज कराएगी। इरशाद उल हक अर्शी ने बैठक में कहा, “वक्फ अधिनियम में किया गया संशोधन केवल मुसलमानों के अधिकारों का हनन नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक सांस्कृतिक और धार्मिक हस्तक्षेप है, जिसकी आलोचना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हो रही है। अगर संसद हमारी बात नहीं सुनेगी, तो हम सड़क पर उतरकर अपने अधिकारों की रक्षा करेंगे। रैली का उद्देश्य न सिर्फ विरोध दर्ज कराना है, बल्कि समाज के विभिन्न तबकों को जागरूक करना भी है कि यह संशोधन किस प्रकार उनके धार्मिक, सामाजिक और संवैधानिक अधिकारों को प्रभावित करता है। मुस्लिम मंच का कहना है कि यह केवल मुसलमानों का मामला नहीं, बल्कि देश के लोकतांत्रिक ढांचे और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा से जुड़ा गंभीर विषय है। कार्यक्रम को लेकर आम जनता और विशेषकर मुस्लिम समुदाय में गहरी जागरूकता और जोश देखा जा रहा है। मंच की अपील है कि सभी धर्मनिरपेक्ष और लोकतंत्र में आस्था रखने वाले नागरिक इस रैली में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और सरकार तक एक मजबूत संदेश पहुंचाएं। 8 अप्रैल की यह रैली जामताड़ा में जनसंकल्प और अधिकारों की आवाज़ बनकर इतिहास रचने की दिशा में अग्रसर है। प्रशासन भी इस रैली को लेकर अलर्ट है और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक तैयारियां कर रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि जामताड़ा की यह आवाज़ राज्य और केंद्र सरकार तक कितनी गूंज पाती है, और क्या यह लोकतांत्रिक विरोध किसी बदलाव की दस्तक बन पाता है। मौके पर रिजवान शेख, आफताब दिलकश, मुर्तजा अंसारी, शमीम अंसारी, सादिक अंसारी, अलाउद्दीन अंसारी, शमशेर आलम, वसीम अंसारी, शाहिद अंसारी सहित काफी संख्या में लोग मौजूद थे।