रविवार को संध्या चार बजे के बाद दवा के लिए तरसेंगे यूसिल कर्मी
आउट सोर्सिंग कंपनी बंद कर देती है दवा की आपूर्ति, कई लोगों ने खरीद कर बचाई अपनी जान
राष्ट्र संवाद संवाददाता
जादूगोड़ा : रविवार को संध्या चार बजे के बाद दवा के लिए भी यूसिल कर्मी को तरसना पड़ेगा। यूसिल कर्मियों व उसके परिवार की करीबन 10 हजार आबादी बिना दवा के 12 घंटा गुजरेगी तब जाकर उस अगले दिन कंपनी अस्पताल से दवा मिल सकेगा।।इस बीच किसी का हादसा हुआ तो उसकी जान ईश्वर के भरोसे जीना होगा। कंपनी की इस अनोखी व्यवस्था से सीआईएसएस के जवान सूरज कुमार को दो _ चार होना पड़ा। वे कान की दर्द की शिकायत लेकर रविवार को अस्पताल पहुंचे व डॉक्टर राम किशोर ने दवा लिखी तब तक यूसिल की आउटसोर्सिंग कंपनी की फार्मेसी दुकान बंद हो गई व समय चार बज रहा था। अंत में बाहर से दवा खरीद पर उन्होंने अपनी जान बचाई। इसी तरह यूसिल मिल का कर्मचारी प्रेशर चेक कराया व डॉक्टर ने दवा लिखीं। बिना दवा के ही कंपनी कर्मी को लौटाना पड़ा। इसी तरह कई लोगों ने खरीद कर अपनी जान बचाई। जिसको लेकर यूसिल कर्मियों में नाराजगी दिखी।इस बाबत पूछे जाने पर यूसिल के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी एम के रजक ने कहा कि जरूरत पड़ने पर वार्ड से दवा की व्यवस्था की गई है,लेकिन श्री रजक का बयान जमीनी हकीकत से दूर दिखी व यूसिल की सेवा में जुट कंपनी कर्मियों व जवानों को दवा खरीद कर लेनी पड़ी। बहरहाल यूसिल सीएसआर के जरिए लाखों रुपए खर्च कर रही व अस्पताल जैसी आवश्यक सेवा में कटौती कर अपनी बनाई छवि की धूमिल करने में जुटी है,देखना यह है यूसिल के अध्यक्ष सह प्रबंधन निर्देशक इस अनोखी व्यवस्था पर कब तक बदलाव करते है या वे भी नजरअंदाज कर इसे बढ़ावा देते है यह गौर करने वाली बात होगी।