आखिर हेमंत की सरकार वृद्ध, विधवा, दिव्यांग के सहायता राशि में कब करेंगे बढ़ोतरी, क्यों विपक्ष को बैठे-बिठाए मुद्दा बनाने का दे रहे हैं न्योता
निजाम खान। राष्ट्र संवाद
2024 का झारखंड में विधानसभा चुनाव काफी रोमांचक रहा, रोमांचक होने का कारण भी यही रहा मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना। इस योजना के तहत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पुनः सत्ता में वापसी की और बहुमत के साथ इंडिया गठबंधन की सरकार बनाई गई। इस मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना को और भी प्रसिद्ध करने में सबसे ज्यादा अगर किसी का हाथ रहा तो वह विपक्ष भारतीय जनता पार्टी का ही रहा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार ने चुनाव के पूर्व मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना लाई, तब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जेल में थे और उनके बदले चंपाई सोरेन मुख्यमंत्री थे। हालांकि चंपाई सोरेन अभी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं, अब वह इंडिया गठबंधन के सदस्य नहीं रहे। तब उन्होंने कहा था कि इस योजना के तहत झारखंड में 21 से लेकर 49 तक के बहन बेटियों को मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के तहत ₹1000 की राशि प्रति महीना दी जाएगी। झारखंड से सटा हुआ पश्चिम बंगाल में इसी तरह की योजना पूर्व से चालू है, जो योजना को लोक्खी भंडार के नाम से जाना जाता है। यह योजना इतनी प्रसिद्ध हुई कि विपक्ष को किसी तरह का मुद्दा बनाने का झारखंड में अवसर ही नहीं प्राप्त हो सका। विपक्ष ने कई तरह के मुद्दा बनाने का भर्षक प्रयास किया लेकिन किसी भी प्रकार का मुद्दा विपक्ष का झारखंड में नहीं बन पाया। सभी मुद्दों का कमर मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना ने तोड़ दिया। आपको बता दें विपक्ष ने झारखंड के संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठिए मुद्दे को जोर-शोर से उठाने का प्रयास किया, हालांकि यह मुद्दा ठंडी बोरी में रह गया। बांग्लादेशी घुसपैठियों क्या सच में झारखंड के संथाल परगना में आए हैं? आने की अभी तक पुख्ता सबूत भारतीय जनता पार्टी के द्वारा नहीं दिया जा सका है। इसलिए यह मुद्दा भी झारखंड में एक जुमलेबाज मुद्दा की तरह बनकर रह गया। सिर्फ इस बात को मुद्दा बनाने में भारतीय जनता पार्टी एड़ी चोटी एक कर रही थी। आम जनता में इसका कोई असर नहीं पड़ा। आम जनता द्वारा इस प्रकार की किसी भी बातें नहीं बताई गई। इसलिए यह मुद्दा ठंडी बोरी में भरा रह गया। जब विपक्ष ने कई मुद्दों को भुनाने का प्रयास किया तो एक भी मुद्दा न चलने पर विपक्ष ने मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना का कमर तोड़ने के लिए चुनाव के पूर्व एक योजना लाने का वादा किया। जिसका नाम दिया गया गोगो दीदी योजना और बताया गया कि इस योजना के तहत झारखंड के बहन बेटियों को ₹2100 प्रति महीना दी जाएगी और इसके लिए बाकायदा फॉर्म भी कई जगह पर भरा गया। इस मामले पर झारखंड के प्रत्येक जिले में कल्याण विभाग द्वारा एक नोटिस जारी किया गया कि अगर कहीं भी इस तरह का फॉर्म भरा जाएगा तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जैसे ही विपक्ष ने इस योजना के बारे में कहा कि ₹2100 की राशि दी जाएगी, झारखंड की जनता के दिमाग में यही सवाल रहा कि ₹2100 दी जाएगी यह तो बाद की बात है, इधर तो ₹1000 दी जा रही है। कई जगह पर राष्ट्र संवाद के पत्रकार निजाम खान ने संथाल परगना के कई हिस्सों में घूम-घूम कर जनता से राय लेने का भी काम किया था, जिसमें जनता द्वारा बताया गया था कि ₹2100 जो दी जाएगी वह तो बाद की बात है लेकिन अभी वर्तमान में जो सरकार दे रही है वह कई मायने रखती है। फिर भी हेमंत की सरकार को लग रहा था कि हमारी सरकार द्वारा दी जा रही ₹1000 की राशि से जनता कहीं भटक न जाए, ₹2100 विपक्ष देने का वादा कर रही है, कहीं उधर जनता अपना रुख न मोड़ ले। इसलिए हेमंत की सरकार ने चुनाव के पूर्व यह घोषणा कर दी कि इस योजना की जो राशि ₹1000 है, उसको बढ़ाकर दिसंबर महीने से ढाई हजार रुपए की राशि दी जाएगी और इस तरह से मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना झारखंड में और भी हिट हो गई। इसीलिए कहीं न कहीं यह कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना को भारतीय जनता पार्टी ने हीं हिट करने में अपना एक अहम योगदान दिया है, एक तो वह इस योजना को जब देंगे तब देंगे यह तो बाद की बात रही। इन्होंने जैसे ही घोषणा की यानी मुख्यमंत्री, वैसे ही झारखंड की जनता में और भी विश्वास बढ़ने लगा। लोग यह मानने में लगे कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ₹1000 अभी वर्तमान में दे ही रहे हैं और जिस तरह से ₹2500 देने का वादा कर रहे हैं, कहीं न कहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन देंगे। झारखंड में हेमंत की सरकार बनने के बाद जिस तरह से बताया गया था कि दिसंबर की 11 तारीख को ढाई हजार रुपए की राशि दी जाएगी लेकिन किसी कारणवश यह राशि देने में देर हो गई। इसके अलावा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक दिन तय किया था कि इस दिन सभी के अकाउंट में ढाई हजार रुपए दी जाएगी, तब तक भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का निधन हो गया। जिसको लेकर पूरे देश भर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 दिनों का शोक दिवस का घोषणा किया। इसी को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस योजना की राशि को झारखंड की मां बहनों के अकाउंट में नहीं डाल पाए। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जनवरी महीने के 6 तारीख को इस योजना की राशि झारखंड की मां बहनों के अकाउंट में डाल दी। लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार ने विपक्ष को बैठे-बिठाए यूं कहे कि विपक्ष को मुद्दा बनाने का न्योता दे रहे हैं। विपक्ष ने पहले तो इस तरह का मुद्दा बना रहे थे कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था 11 दिसंबर को सभी झारखंड के मां बहनों के अकाउंट में ₹2500 की राशि दी जाएगी, जो अब तक नहीं दिया गया। इस योजना को छलावा योजना कहने में विपक्ष लगी हुई थी लेकिन अब सरकार ने जब इस योजना के तहत ₹2500 दे ही दिया, फिर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बैठे-बिठाए एक और मुद्दा विपक्ष को देने का कहीं न कहीं काम कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी हेमंत सरकार को अपने निशाने में लिया है और हेमंत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार 18 वर्ष से लेकर 49 वर्ष तक की बहन बेटियों को जिस तरह से ढाई हजार रुपए की राशि दे रहे हैं, यह तो ठीक है लेकिन वहीं दूसरी ओर झारखंड की दिव्यांग, वृद्धा, विधवा महिलाओं को ढाई हजार रुपए की राशि देना चाहिए था। इसके लिए बाकायदा उन्होंने वादा भी किया था लेकिन अब तक हेमंत की सरकार ने झारखंड की दिव्यांग, विधवा और वृद्ध महिलाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है। यही नहीं, बाबूलाल मरांडी हेमंत सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जो महिलाएं, जो बहन बेटियां अपने प्रदेश के लिए सेवा दे रही हैं, जिनको मात्र एक हजार, दो हजार प्रोत्साहन राशि दिया जाता है, यानी के स्कूल के रसोइया को महीने में मात्र ₹2000 की राशि दी जाती है, जो काम करती है, जबकि ऐसी बहन बेटियों को राशि में बढ़ोतरी करने की आवश्यकता है। और दिव्यांग, विधवा, वृद्ध महिलाओं के लिए कहा कि उनके लिए ढाई हजार रुपए की राशि भी तो कम है, उन्हें इस राशि में और भी बढ़ोतरी कर देना चाहिए। अब कहीं न कहीं विपक्ष इस मुद्दे को झारखंड में जोर-शोर से भुनाने में प्रयास करेगी और यह मुद्दा भारतीय जनता पार्टी के लिए कहीं न कहीं बनते भी दिखाई दे रहा है। ऐसे में समय रहते मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस दिशा में पहल करने की आवश्यकता है। वहीं हेमंत सरकार में बैठे जेएमएम के मनोज पांडे का कहना है कि विपक्ष उतना चिड़ रही है क्यों? झारखंड की बहन बेटियों को ढाई हजार रुपए की राशि दी जाती है, तो इससे चिढ़ना किस बात की है। आगे-आगे देखिए झारखंड में दिव्यांग, वृद्ध, विकलांगों को भी उचित राशि दी जाएगी। किसी भी योजना को बनाने के लिए थोड़ा सा समय लगता है। मनोज पांडे जी, आपका यह बात कहना सही है कि किसी भी योजना को बनाने के लिए समय लगता है, लेकिन क्या जिस तरह से झारखंड की बहन बेटियों, यानी की 18 से लेकर 49 वर्ष की महिलाओं के लिए जब आप योजना बना रहे थे, तब क्या आपको इस बात के बारे में सोचना नहीं चाहिए था कि जो हमारे झारखंड में दिव्यांग, वृद्धा, विधवा महिलाएं हैं, उनके लिए हमें किस तरह की योजना बनानी चाहिए। ऐसे में कहीं न कहीं आप तो विपक्ष को बैठे-बैठे मुद्दा देने का न्योता दे रहे हैं। खैर, जो भी हो, समय रहते हेमंत की सरकार को इस दिशा में जल्द से जल्द पहल करने की आवश्यकता है और उम्मीद है कि हेमंत सरकार इस पर जल्द ही फैसला लेंगे। क्योंकि झारखंड में हेमंत की सरकार काफी जनप्रिय बताई जा रही है। जनता ने चॉइस किया है, हेमंत सरकार को दोबारा सत्ता में वापसी दिलाया है। झारखंड में ऐसा कोई मुख्यमंत्री है जो दोबारा जीत कर सत्ता वापसी में आए हैं, वह हेमंत सोरेन ही हैं। हेमंत सोरेन जी, झारखंड में दिव्यांग, वृद्धा, विधवा महिलाओं की अगर माने तो उन लोगों की भी आपसे बड़ी उम्मीद है कि आप उन लोगों के विषय में गंभीरतापूर्वक सोचेंगे। इसके साथ ही स्कूल की रसोइयों का भी आपसे उम्मीद है कि जिस तरह से वह मेहनत कर रही हैं, उनके प्रोत्साहन राशि में भी बढ़ोतरी करेंगे।