मंजिल मिलेगी भटक कर ही सही, गुमराह तो वो हैं, जो घर से निकले ही नहीं- अजहरुद्दीन
राष्ट्र संवाद संवाददाता
जामताड़ा: संथालपीपला में आयोजित फुटबॉल टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले में ग्रामीण विकास मंत्री डॉ. इरफान अंसारी की अनुपस्थिति में उनके प्रतिनिधि के तौर पर अज़हरूद्दीन पहुंचे। इस अवसर पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और खेल प्रेमी उपस्थित रहे।
फाइनल मुकाबले में एसएन क्लब ने चलना 11 को रोमांचक टाई ब्रेकर में पराजित कर जीत हासिल की। पूरे मैच के दौरान दर्शकों में भारी उत्साह देखा गया, और खिलाड़ियों ने भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
अज़हरूद्दीन ने फाइनल मुकाबले का आनंद लेते हुए अपने संबोधन में कहा, “माननीय मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए उल्लेखनीय कार्य किए हैं। सड़क, पुल, शिक्षा, स्वास्थ्य, हर क्षेत्र में उन्होंने विकास की नई इबारत लिखी है। खेल को बढ़ावा देने के लिए रानीडीह और मिहिजाम में दो बड़े स्टेडियमों का निर्माण करवाया जा रहा है, जिससे स्थानीय खिलाड़ियों को उच्च स्तर की सुविधाएं मिल सकेंगी।”
आगे उन्होंने कहा कि फुटबॉल न केवल एक खेल है, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण पाठ भी सिखाता है। इस खेल में टीम वर्क, अनुशासन, धैर्य और संघर्ष का विशेष महत्व होता है, जो हमारे दैनिक जीवन में भी उतने ही आवश्यक हैं। जिस तरह एक खिलाड़ी को गोल करने के लिए सही समय का इंतजार और सामूहिक प्रयास की जरूरत होती है, उसी तरह जीवन में भी सफलता के लिए धैर्य, मेहनत और सही निर्णय लेना महत्वपूर्ण होता है। फुटबॉल सिखाता है कि चाहे कितनी भी चुनौतियाँ आएं, हार न मानते हुए लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए, क्योंकि अंततः मेहनत और एकजुटता ही जीत दिलाती है।
उन्होंने आगे कहा, “मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि समाज में आगे आएं और मंत्री जी द्वारा दी जा रही योजनाओं और सुविधाओं का भरपूर लाभ उठाएं। हम सभी को मिलकर एक मजबूत और सशक्त समाज का निर्माण करना है।”
“मंजिल मिलेगी भटक कर ही सही, गुमराह तो वो हैं, जो घर से निकले ही नहीं।” यह विचार युवाओं के लिए प्रेरणादायक हैं, खासकर उनके लिए जो जीवन की चुनौतियों से डरकर आगे बढ़ने से हिचकिचाते हैं। उक्त बातें अजरुद्दीन ने शायराना अंदाज में कहां और बताया कि असफलता का डर हमें रोक नहीं सकता। जीवन में कभी-कभी भटकाव ज़रूरी होता है क्योंकि वह हमें सिखाता है और हमें हमारी मंजिल के करीब ले जाता है। इसलिए, युवाओं को चाहिए कि वे अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकलें, समाज की समस्याओं का समाधान ढूंढें और अपने कार्यों से समाज को बेहतर बनाएं।