झारखंड नव निर्माण संकल्प अभियान पर सवाल: क्या संथाल आदिवासियों की जमीन लूट से होगा झारखंड का नव निर्माण?
राष्ट्र संवाद संवाददाता
जनता पूछे सवाल – आजसू केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो, केंद्रीय महा सचिव सह संभावित प्रत्याशी हरे लाल महतो,जिला अध्यक्ष सचिन महतो की चुप्पी क्यों ?
चांडिल झारखंड नव निर्माण संकल्प अभियान, जिसे आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो ने बड़े जोर-शोर से शुरू किया है, पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। इस अभियान का ईचागढ़ विधान सभा क्षेत्र के चांडिल में नेतृत्व कर रहे प्रखंड के बिगड़ैल अध्यक्ष दुर्योधन गोप और उनकी टीम कर रही है, जिन पर अवैध भूमि कब्जे और अनुचित आचरण के आरोप लग रहे हैं।
**संथाल आदिवासियों की 17 आदिवासियो की जमीन पर अवैध कब्जा**
चांडिल क्षेत्र के चिलगु पीड़ित ग्रामीण संथाल आदिवासी पुटु लाल हंसदा ने बताया कि दुर्योधन गोप ने आदिवासियो की 17 परिवार की जमीन अतिक्रमण किया इसके अलावा अपने परिवार के भाईयो साथ मिलकर सुवर्णरेखा पुनर्वास की परती जमीन पर बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के अवैध रूप से पक्का निर्माण कर कई पक्की दुकानें खड़ी कर दिया है। यह जमीन विस्थापितों के पुनर्वास के लिए थी, लेकिन गोप ने दबंगई दिखाते हुए इसे अपने निजी स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किया।
**सामुदायिक भवन पर कब्जा और अमर्यादित आचरण का अड्डा**
15 साल पहले पूर्व विधायक अरविंद सिंह ने विस्थापितों की मांग पर चिलगू पुनर्वास में एक सामुदायिक भवन का निर्माण करवाया था, ताकि शादी-विवाह और सामाजिक अनुष्ठानों के लिए ग्रामीणों को सुविधाएं मिल सकें। अरविंद सिंह के समर्थक रहे दुर्योधन गोप को उस समय इस भवन की देखभाल की जिम्मेदारी दी गई थी।
लेकिन अब, स्थानीय लोगों के अनुसार, सामुदायिक भवन एक निजी ऐशगाह बनकर रह गया है। यह भवन अब अमर्यादित आचरण और निजी लाभ के लिए इस्तेमाल हो रहा है, जबकि इसे जनता के उपयोग के लिए बनाया गया था। यह आरोप लगाया जा रहा है कि दुर्योधन गोप ने इस सामुदायिक भवन को अपनी निजी संपत्ति की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है, जिससे जनता को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा।
**आजसू के सिद्धांतों के विपरीत कार्य**
आजसू पार्टी, जो आदर्शों और सिद्धांतों की बात करती है, के नेता इस तरह के कार्यों में लिप्त हैं, जो पार्टी की छवि और झारखंड नव निर्माण संकल्प अभियान को कमजोर कर रहे हैं। यह सवाल उठ रहा है कि क्या झारखंड का नव निर्माण संथाल आदिवासियों की जमीन लूटकर और सामुदायिक संसाधनों को निजी स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करके होगा?
झारखंड के लोगों को इस मुद्दे पर सजग रहना चाहिए और ऐसे नेताओं को बेनकाब करना चाहिए जो पार्टी के सिद्धांतों के विपरीत काम कर रहे हैं। जनता का जागरूक होना ही राज्य के वास्तविक नव निर्माण की दिशा में एक ठोस कदम हो सकता है।