गंतव्यबिंदु या लक्ष्य है परमा संप्राप्ति साधना के गंतव्यबिंदु पर सूक्ष्म रूप में श्री कृष्ण विराजमान है
राष्ट्र संवाद संवाददाता
जमशेदपुर:आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से गदरा रहरगोड़ा एवं पटमदा के देहात क्षेत्र में सेवा मूलक कार्यों के साथ-साथ भगवान कृष्ण का आध्यात्मिक महत्व बताते हुए सुनील आनंद ने कहा कि आध्यात्मिक साधना ही कुशाग्र बनने की साधना है ।
अध्यात्मिक साधना का आधार या आरंभिक बिंदु नैतिकता है और उसका गंतव्यबिंदु या लक्ष्य है परमा संप्राप्ति।
साधना के गंतव्यबिंदु पर श्री कृष्ण विराजमान है। कृष्ण का अर्थ समझाते हुए कहा कि वह सत्ता जो सबको अपनी ओर को आकृष्ट करता है अथवा सबों का अस्तित्व जिस पर निर्भर है वही सूक्ष्म रूप में कृष्णा है ।
अध्यात्मिक साधना के लिए मानसिक देह को शुद्ध करना पड़ता है। खानपान की शुद्धि आवश्यक है एवं शुभ कर्म आवश्यक है।
लगभग 100 साड़ी एवं 200 फलदार पौधे का वितरण किया गया