हूल दिवस के अवसर उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक सहित अन्य वरीय पदाधिकारियों ने गांधी मैदान स्थित सिदो कान्हो के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन किया अर्पित
आज दिनांक 30.06.2024 को हूल दिवस के अवसर पर उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी जामताड़ा श्रीमती कुमुद सहाय (भा०प्र०से०), पुलिस अधीक्षक जामताड़ा श्री अनिमेष नैथानी (भा०पु०से०), उप विकास आयुक्त श्री निरंजन कुमार, परियोजना निदेशक आईटीडीए श्री जुगनू मिंज, अनुमंडल पदाधिकारी श्री अनंत कुमार, जिला पंचायत राज पदाधिकारी श्री पंकज कुमार रवि, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी श्री विकास आनंद लांगुरी, अंचल अधिकारी, जामताड़ा श्री अबीश्वर मुर्मू, थाना प्रभारी जामताड़ा एवं अन्य अधिकारियों के द्वारा संताल हूल के महान अमर सेनानी सिदो कान्हो, चांद भैरव सहित सभी अमर सेनानियों के शहादत दिवस के अवसर पर गांधी मैदान जामताड़ा स्थित सिदो कान्हो के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया।
इस अवसर पर उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी जामताड़ा श्रीमती कुमुद सहाय (भा०प्र०से०) ने कहा ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचार के खिलाफ 30 जून, 1855 को झारखंड के आदिवासियों ने पहली बार विद्रोह का बिगुल फूंका। इस दिन सैकड़ों गांवों के हजारों की संख्या में लोग साहिबगंज जिले के भोगनाडीह गांव पहुंचकर अंग्रेजों से आमने-सामने की जंग का एलान कर दिया। सिदो-कान्हो और चांद-भैरव के नेतृत्व में तब संथालों ने मालगुजारी नहीं देने और अंग्रेज हमारी माटी छोड़ो का जोर-शोर से एलान किया।
अंग्रेजों ने तब संथाल विद्रोहियों से घबराकर उनका दमन प्रारंभ किया। इसकी प्रतिक्रिया में आदिवासियों ने अंग्रेजी सरकार की ओर से आए जमींदारों और सिपाहियों को मौत के घाट उतार दिया। विद्रोहियों को सबक सिखाने के लिए अंग्रेजों ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं। चांद और भैरव को अंग्रेजों ने मार डाला। इसके बाद सिद्धो और कान्हो को भोगनाडीह में ही पेड़ से लटकाकर अगस्त 1855 को फांसी दे दी गई। संताल हूल को आजादी की लड़ाई में ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध पहला विद्रोह माना जाता है। वहीं उन्होंने कहा कि सिदो कान्हू, चांद भैरव एवं अन्य सभी अमर सेनानियों के आजादी की लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीदों की बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके बलिदान की अमर गाथा से हम सभी को प्रेरणा मिलती है।