समाहरणालय जामताड़ा स्थित एसजीएसवाई प्रशिक्षण भवन सभागार में पॉक्सो एवं जुवेनाइल जस्टिस अधिनियम से संबंधित जिला स्तरीय परामर्श कार्यशाला का हुआ आयोजन
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक एवं अन्य के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का किया गया विधिवत शुभारंभ*
हमारे समाज के सबसे वलनेरेबल पार्ट हमारे बच्चे बच्चियां हैं, उनकी सुरक्षा कैसे की जाए, यह बेहद अहम – प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, जामताड़ा
पॉक्सो एवं जुवेनाइल एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सभी स्टेकहोल्डरों की भूमिका महत्वपूर्ण अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक करें निर्वहन – प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश
बच्चों में लैंगिंग अपराध को रोकने के लिए सामाजिक बंदिशों के बावजूद भी जागरूकता फैलाने एवं बेहतर समाज के निर्माण की है आवश्यकता – उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी, जामताड़ा*
*◼️ बच्चों के प्रति सोचें, बंदिशों से ऊपर उठकर उनके संरक्षण एवं सुरक्षा के प्रति हमें सजगता लानी होगी – उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी, जामताड़ा*
*◼️ टेक्निकल सेशन में पॉक्सो अधिनियम से जुड़े सभी प्रावधानों एवं जानकारियों के अलावा सरकार द्वारा विक्टिम्स के लिए चलाई जा रही योजनाओं के बारे में विस्तार से दी गई जानकारी*
जिला विधिक सेवा प्राधिकार, जामताड़ा के सौजन्य से आज दिनांक 18.02.2024 को समाहरणालय जामताड़ा अवस्थित एसजीएसवाई प्रशिक्षण भवन सभागार में लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो एक्ट) एवं किशोर न्याय अधिनियम (जुवेनाइल जस्टिस एक्ट) विषय पर जिला स्तरीय मल्टी स्टेक होल्डर्स के साथ परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला का शुभारंभ प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार श्री रंजीत कुमार, उपायुक्त सह उपाध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, श्री शशि भूषण मेहरा (भा०प्र०से०), पुलिस अधीक्षक सह सदस्य श्री अनिमेष नैथानी (भा०पु०से०) एवं अध्यक्ष बार एसोसिएशन श्री मोहन लाल बर्मन सहित अन्य के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया गया।
इससे पूर्व मुख्य अतिथि सहित सभी अतिथियों को स्वागत बुके देकर किया गया।
*पॉक्सो एक्ट के द्वारा किसी भी जिले के थाना में एफआईआर दर्ज किया जा सकता है- प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश*
कार्यशाला को संबोधित करते हुए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री रंजीत कुमार ने कहा कि हमारे समाज के सबसे वलनेरेबल पार्ट हमारे बच्चे बच्चियां हैं, बच्चों को आसानी से कोई अपराधिक शिकार बना लेते हैं। उनकी सुरक्षा कैसे की जाए, यह बेहद अहम है। बच्चों का संरक्षण सिर्फ ज्यूडिशियरी की जिम्मेवारी नहीं है बल्कि यह जिम्मेवारी हम तमाम लोगों की है। उन्होंने कहा कि पॉक्सो एक्ट 2012 के तहत बच्चों के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे बच्चियों को लैंगिक अपराध से संरक्षण हेतु कानूनी प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस एक्ट के द्वारा किसी भी जिले के कोई भी थाना में एफआईआर दर्ज किया जा सकता है, थाना प्रभारी एफआईआर दर्ज करने से मना नहीं कर सकते हैं। तत्पश्चात उस एफआईआर को डिजिटल या फिजिकल माध्यम से संबंधित थाने में भेजा जा सकता है। उन्होंने कहा कि पीड़िता के साथ महिला पुलिस पदाधिकारी ही सादे लिबास में उसका बयान अभिलिखित कर सकती है। कोर्ट में इसके विचारण की अलग प्रक्रिया है, चाइल्ड फ्रेंडली कोर्ट एस्टेब्लिश्ड किए गए हैं। उन्होंने सेक्सुअल एब्यूज के शिकार बच्चों के चिकित्सकीय जांच हेतु चिकित्सकों की भूमिका को अहम बताया एवं कहा कि अस्पतालों में इसके लिए अलग कमरा हो, वहीं विक्टिम बेहद ही अल्पायु हो तो मेडिकल जांच हेतु उनके माता पिता की सहमति जरूरी है। वहीं उन्होंने विक्टिम के सुरक्षा हेतु जरूरी चीजों को बताया। वहीं कहा कि चिकित्सकीय जांच फीमेल डॉक्टर द्वारा ही होने चाहिए उनकी अनुपस्थिति में पुरुष डॉक्टर के साथ महिला अटेंडेंट हों।
◼️ *बच्चों के प्रति हो रहे यौन अपराधों के प्रति हमें सभी बंदिशों से ऊपर उठकर कार्य करना होगा, गांव गांव तक जाकर लोगों को करें जागरूक – उपायुक्त*
वहीं पॉक्सो एक्ट पर आयोजित परामर्श कार्यशाला की प्रासंगिकता को अभिव्यक्त करते हुए उपायुक्त श्री शशि भूषण मेहरा (भा०प्र०से०) ने कहा कि यह बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है। यह वैश्विक स्तर की समस्या है। उन्होंने बच्चों में यौन अपराध एवं किशोर बच्चे के गलत राह पर जाने की वजह को सामाजिक दुर्नितियों का परिणाम कहा। उन्होंने कहा कि ऐसे घृणित कार्यों से निपटना एक चुनौती है। अक्सर मामलों में सगे संबंधी ही बच्चों को यौन अपराध का शिकार बनाते हैं एवं लोक लज्जा के भय से परिजन इसे कानून की परिधि में नहीं लाना चाहते हैं। हमें इसके लिए लोगों में जागरूकता लाने की आवश्यकता है, क्योंकि ऐसे घृणित कार्यों में शामिल व्यक्तियों को दंडित करने के लिए पॉक्सो एक्ट में कड़े प्रावधान किए गए हैं, लोगों को इस बारे में जानकारी होनी जरूरी है। ताकि लोग गलत होने पर उसे गलत कहने की हिम्मत कर सके। सामाजिक बंदिशों से ऊपर उठकर हमें कार्य करना होगा। उन्होंने सभी स्टेकहोल्डर्स से अपील करते हुए अपने अपने दायित्वों का टीम भावना से निर्वहन करें।
◼️ *बच्चों के साथ होने वाले अपराध के लिए निःसंदेह हम दोषी हैं, समाज के स्तर से हमें बच्चों के संरक्षण हेतु प्रयास करना होगा – पुलिस अधीक्षक*
कार्यशाला को संबोधित करते हुए पुलिस अधीक्षक ने कहा कि समाज में बच्चों के साथ जो रहे अपराध या बच्चे द्वारा किए जाने वाले अपराध दोनो ही चिंताजनक है। बच्चे अगर अपराध कर रहे हैं तो हम दोषी हैं, अगर बच्चे के साथ अपराध हो रहा है तो हम निःसंदेह दोषी हैं। इसके लिए हमें समाज के स्तर से प्रयास करने होंगे। बच्चे को समाज से अपने परिवार से अच्छे संस्कार मिले, बेहतर माहौल मिले जिससे वो इन सब चीजों से बच सकें। पॉक्सो से जुड़े मामलों में अनुसंधान बेहद सावधानी से करना जरूरी है, उन्होंने वैज्ञानिक साक्ष्य संग्रहण, उम्र वेरिफाई करने सहित अन्य बिंदुओं पर बनाई गई गाइडलाइन का पालन करने हेतु पुलिस पदाधिकारी को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ऐसे केस में बच्चों के बयान लेने हेतु सादे लिबास में जाना है तथा इन केसों को गंभीर मानते हुए आईओ स्वयं इसका अनुसंधान करेंगे। पीड़ित बच्चों को किसी भी सूरत में थाना न बुलवाएं। बच्चों से बयान लेते समय उसे यह अहसास कराएं कि आप उनके रिश्तेदार, हमदर्द और भलाई चाहते हैं। उसे डरा धमका के बात ना करें। संवेदनशील होकर ऐसे मामलो का अनुसंधान करें।
*प्रशिक्षण के द्वितीय सत्र में पॉक्सो अधिनियम से जुड़े सभी बिंदुओं को विस्तार से बताया गया।*
वहीं प्रशिक्षण के द्वितीय सत्र में जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम सह विशेष न्यायाधीश पॉक्सो, श्री शिरीष दत्ता त्रिपाठी ने पॉक्सो एक्ट से जुड़े कई केसों के बारे में जानकारी देते हुए अनुसंधान प्रक्रिया की बारीकियों को बताया। कहा कि अपराध हो गया हो अथवा होने की संभावना हो, उसकी सूचना देंगे, उन्होंने पुलिस पदाधिकारी को अनुसंधान के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के अलावा कई जरूरी टिप्स दिए। कहा की स्टेटमेंट जल्द रिकॉर्ड हों, अपराधी किसी भी सूरत में बचने नहीं चाहिए। इसके अलावा ऐसे कई केसों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि जामताड़ा में पॉक्सो से जुड़े मामले बेहद कम हैं, लेकिन सजगता बेहद जरूरी है ताकि जिले में पॉक्सो से जुड़े मामले शून्य हो। वहीं कहा की ऐसे मामलों में सिर्फ पीड़िता की ही नही बल्कि अभियुक्त का भी मेडिकल जांच करवाएं। कहा कि पॉक्सो एक्ट के तहत केस रजिस्टर होने पर एक गवाह (स्वयं पीड़िता) भी अपने बयान पर कायम रहे तो अभियुक्त की जवाबदेही है कि वो अपनी बेगुनाही साबित करें। वहीं जिला पंचायत राज पदाधिकारी श्री पंकज कुमार रवि ने सरकार द्वारा दिए जाने वाले रिहैबिटेशन एवं वेलफेयर स्कीम सहित अब तक दिए गए लाभ के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पॉक्सो एवं जेजे एक्ट साथ ही अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी जामताड़ा के द्वारा पॉक्सो से जुड़े मामलों में इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर के रोल के बारे में जानकारी दी। इसके अलावा बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री मोहन लाल बर्मन एवं एडवोकेट श्री राकेश रंजन ने पॉक्सो एक्ट एवं जेजे एक्ट पर अपने विचार प्रस्तुत किया।
*कार्यक्रम के दौरान मंच संचालन का कार्य सचिव, डीएलएसए श्री अभिनव ने किया।*
*इनकी रही उपस्थिति*
इस अवसर पर उपरोक्त के अलावा न्यायिक अधिकारियों में एडीजे-I श्री शिरीष दत्ता त्रिपाठी, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार श्री अभिनव, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री मोहन लाल बर्मन, प्रशासनिक अधिकारियों में जिला पंचायत राज पदाधिकारी श्री पंकज कुमार रवि, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्रीमति कलानाथ, अस्पताल उपाधीक्षक डॉ डीसी मुंशी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी में अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी जामताड़ा सहित विभिन्न थाना प्रभारी एवं अन्य संबंधित उपस्थित थे।