शिक्षा विभाग के नियमावली का आज विरोध किया जाएगा – मो शराफत खैरावी
सामाजिक कार्यकर्ता,अल्पसंख्यक और उर्दू विषय के जानकार एस अली के अध्यक्षता में एक गूगल मीटिंग हुआ जिसमें झारखंड के सभी जिलों के उर्दू अभ्यार्थी जुड़े थे। विषय था स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा जारी किया गया प्रोन्नति नियमावली का प्रारुप जिसमें कक्षा एक से आठ तक के उर्दू शिक्षकों के बहाली को मर्ज कर दिया गया है अर्थात अब आगे प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयो में उर्दू शिक्षकों की बहाली नहीं किया जायेगा, जबकि पूर्व के सरकार में जितने भी बहाली हुई है उसमें उर्दू सहायक शिक्षक का बहाली किया जाता था जिसमें सैकड़ो छात्र एवं छात्राएं उर्दू शिक्षक के रूप में नौकरी भी कर रहे हैं, लेकिन इस प्रारूप से मालूम होता है कि आने वाले दिनों में उर्दू शिक्षकों की बहाली नहीं किया जाएगा। गूगल मीटिंग में जुड़े जामताड़ा जिला के सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद शराफत खैरावी ने कहा कि 2013 एवं 2016 में झारखंड टेट की इम्तिहान में उर्दू असिस्टेंट टीचर का सिलेबस दिया गया था जिसमें बाकायदा 3000 से भी ज्यादा विद्यार्थी सफल भी हुए हैं और बहाली के इंतजार में अपना उम्र भी खत्म होने के कगार पर है। पहले झारखंड सरकार ने सैकड़ो उर्दू विद्यालयों को सामान्य विधालय कर दिया, अब बरसों से बहाली के इंतजार में 4401 उर्दू शिक्षकों के पद में से बचे हुए रिक्त 3712 पद को स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने सरेंडर करने का प्लान कर रहा है। साक्षरता विभाग के द्वारा एक नियमावली बनाया गया है जिसमें कक्षा एक से आठ तक के उर्दू शिक्षकों के बहाली को मर्ज कर दिया गया है अर्थात अब आगे प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयो में उर्दू शिक्षकों की बहाली नहीं किया जाएगा, नियमावली में साफ साफ लिखा हुआ है की ये पद अब मरणशील संवर्ग होगा,स्पष्टतया अब कोई भी नई नियुक्ति नहीं की जाएगी/नियुक्ति हेतु पद उपलब्ध नहीं होंगे, यानी अब आगे उर्दू शिक्षकों की बहाली नहीं होगी। इसी के विरोध में रविवार को जामताड़ा समेत झारखंड के सभी जिला मुख्यालय में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा, उर्दू भाषा प्रेमियों से अपील है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में सभी जिला मुख्यालय पहुंचकर सरकार एवं स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के तुगलकी फरमान का विरोध करें,ताकि आने वाले दिनों में सरकार और विभाग ऐसी हरकत करने से पहले सौ मर्तबा सोचें।